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धनसेठ से कहलाया, कि-" आप कोई ऐसा उपाय कीजिये, जिससे किसी भी तरह मेरा विवाह राजा श्रेणिक के साथ होजाय"।
अभयकुमार ने, शहर के बाहर से राजा के अन्तःपुर ( जनानखाने) तक एक सुरंग खुदवाई । उस मुरंग के दर्वाजे पर एक रथ खड़ा किया और राजा श्रेणिक को भी वहीं बुला लिया । राजा श्रेणिक, उस रथ में बैठकर, राजा चेटक की चेलणा नामक पुत्री को ले गये । सुज्येष्ठा के बदले चेलणा कैसे आई, इसका वृत्तान्त 'रानी-चेलणा। नामक पुस्तिका में लिखा गया है ।
एक बार, राजा श्रेणिक के बाग में चोरी होगई । उस बाग के सब से अच्छे आमों को कोई चुराकर तोड़ लेगया । राजा श्रेणिक ने अभयकुमार को बुलाकर कहा"अभय ! इन आमों का चोर जल्दी पकड़ लाओ"। अभय ने कहा-"जो आज्ञा"।
____ अभयकुमार ने, वेश बदलकर घूमना शुरू किया। एक बार घूमते-घूमते वे लोगों की एक मजलिस (मण्डली ) में पहुँचे । वहा, इन्हें देखकर सबने आग्रह किया, कि-" भाई ! कोई कहानी कहो"। लोगों के