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________________ वाया और उसे उस अँगूठी के ऊपर डाल दिया। इसके बाद थोड़ी-सी सुखी-घास मँगवाई और उसे सुलगाकर ठीक उस गोबर पर डाल दी। आग की गर्मी के कारण वह गोबर सूख गया और वह अँगूठी भी उसी में चिपक गई। फिर उसने पास ही के एक पानी से भरे हुए कुएँ पर से उस कुएँ तक नाली खुदवाई और उसी के द्वारा उस खाली कुएँ में पानी भरना शुरू किया । भरते-भरते, जब पानी ऊपर तक आया, तब वह कण्डा भी ऊपर आगया । अभय ने उस कण्डे को उठा लिया और उसमें से वह अँगूठी निकाल ली। वहाँ जितने लोग खड़े थे, वे सब अभय की यह चतुराई देखकर बोल उठे-" इस लड़के की बुद्धि को धन्य है"। . राजा के जो सिपाही वहा मौजूद थे, उन्होंने जाकर राजा से यह बात कही। राजा ने तत्क्षण अभय को अपने पास बुलाया और उससे पूछा- "भाई ! तुम्हारा क्या नाम है और तुम कहँ। के रहने वाले हो ?"। ___अभय-"मैं वेणातट का रहनेवाला हूँ और मेरा नाम है-अभय"। श्रेणिक-" तुम अपने यहाँ के भद्रसेठ को जानते हो ?" अभय-"हा महाराज ! बहुत अच्छी तरह जानता हूँ"।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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