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खाली-कुएँ में एक अंगूठी डलवाकर यह घोषित किया है, कि जो मनुष्य कुएँ के किनारे पर खड़ा होकर इस अँगूठी को निकाल देगा, उसे ही मैं अपने प्रधानमंत्री का पद दूंगा।"
यह सुनकर, अभय उस भीड़ में घुसा और वहाँ इकठे हुए मनुष्यों को सम्बोधन कर बोला--" अरे भाइयो ! आपलोग इतनी अधिक चिन्ता में क्यों पड़े हैं ? कुएँ में से अँगूठी निकालना कौनसी बड़ी बात है ?"
उन मनुष्यों ने कहा-“भाई ! यह तुम्हारा खेल नहीं है। इसमें बड़े-बड़े बुद्धिमानों की भी बुद्धि चकरा रही है, तो तुम क्या कर सकते हो?"
अभय बोला-" जी हाँ, मेरे लिये तो यह काम खेल ही है, किन्तु क्या मेरे समान परदेशी-मनुष्य भी इस परीक्षा में भाग ले सकता है ?"
मनुष्यों ने उत्तर दिया-" इसमें क्या है ? कहावत पाहूर है, कि जो गाय चरावे, वही ग्वाल' । यदि तुम सचमुच इसे निकाल सको, तो अवश्य ही तुम्हें प्रधानपद मिलेगा "
अभय, कुएँ पर आया । उसे देखकर लोग आपस में कानाफूसी करने लगे, कि-" यह लड़का क्या कर सकता है ?" कुएँ पर पहुँचकर अभय ने ताजा-गोबर मँग