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पूछा-" क्यों तुम्हारा क्या विचार है ? " । दुर्धर ने कहा-" आपके साथ रहना और आपका रोजगार करना ही मुझे पसन्द है" । भील-गजा ने बड़ी खुशी से उसे अपने पास रख लिया। - वह, धीरे-धीरे सब को प्रिय होगया, अत: भीलराज ने उसे अपना पुत्र बनाया और अपनी सारी-सम्पत्ति उसे ही सौंप दी।
दुर्धर बड़ी-बड़ो चोरियें करता । उन चोरियों में जो कोई उसका सामना करता वह मारा जाता। उसका प्रहार कभी भी खाली न जाता था, इस लिये उसका नाम पड़ा 'दृढ़प्रहारी।
एक बार डाकुओं का एक बड़ा-भारी गिरोह लेकर वह कुशस्थल नगर लूटने गया । उस नगर में ब्राह्मण का एक कुटुम्ब रहता था। वह ब्राह्मण अत्यन्त गरीब था । उसके घर में एक दिन भोजन करने की भी सामग्री न थी। सम्पत्ति के नाम पर केवल एक गाय ही थी। - इस बुरी-हालत में ही एक त्यौहार आ पड़ा। उस दिन ब्राह्मण से बच्चों ने कहा-"पिताजी ! हम