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रंग में काले-काले बिलकुल भूत की तरह थे। उनके शरोर पर वस्त्र के नाम से केवल एक लँगोटी और हाथ में तीर-कमान थी । उन्होंने दुर्धर को पकड़ लिया और अपने राजा के पास ले चले।
कुछ दूर चलने पर एक अँधेरी-गुफा आई। वहां भीलों का एक झुण्ड बैठा था । उन्होंने दुर्धर को देखा, अतः बड़े प्रसन्न हुए । वे आपस में विचार करने लगे“भाई ! यह नये खूनवाला जवान है, माता के सामने बलिदान करने के काम अच्छा आवेगा"।
वे भील दुर्धर को लेकर एक गुफा में चले । अँधेरे में चलते-चलते अन्त में एक रोशनीदार स्थान पर पहुँचे। वहां एक हट्टा-कट्टा और डरावना-भील बैठा था, जो मानों साक्षात् यम का ही अवतार हो । उसके पास ही एक स्त्री बैठी थी। वह भी खूब हृष्ट-पुष्ट और लम्बी थी। उस स्त्री ने भी अपने शरीर पर केवल एक ही वस्त्र और गले तथा हाथ में पत्थर एवं चाँदी के गहने पहन रक्खे थे। ये दोनों स्त्री-पुरुष ही भीलों के राजा-रानी थे।
राजा ने दुर्धर को देखा और उसके लक्षणों से ही वह जान गया कि यह चोरी करने में खूब होशियार है, अतः हमारे बड़े काम का मनुष्य है । उसने दुर्धर से