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दिया गया । सच है, बुरे-आदमियों का यही हाल होता है।
अपने साथ किये गये इस व्यवहार से दुर्धर मनही-मन में बहुत कुढ़ा । उसने दिल में यह निश्चय किया कि मैं अपने अपमान का बदला इस गाँव के लोगों से अवश्य लूंगा। इसी तरह विचार करता-करता, वह आगे को चल दिया।
२: चलते-चलते वह एक पहाड़ी-मुल्क में पहुंचा। वहाँ पर्वत की एक गुफा अत्यन्त गहरी और बड़ो ही डरावनी थी। किसी कम-हिम्मत मनुष्य की तो उस तरफ पैर बढ़ाने की भी ताकत न थी। किन्तु दुर्धर का दिल तो बड़ा मज़बूत था, अतः वह आगे की तरफ बढ़ता हो गया । __अब झाड़ी बढ़ने लगी। उस झाडी में अनेक प्रकार के झाड़ और अनेक प्रकार की बेलें थीं। वे बेलें झाड़ों से लिपट-लिपटकर एक प्रकार के पीजरे से बनाती थीं। नीचे घास उग रहा था, जो मनुष्य के सिर के बराबर ऊँचा था। रास्ता किसी जगह ऊँचा और किसी जगह नोचा था। दुर्धर ऐसे रास्ते को तय करता हुआ आगे की तरफ चला।