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धन्ना ने पीछे की ओर देखा, तो सुभद्रा. रोती. हुई दिखाई दी। धन्ना ने सुभद्रा. से रोने का कारण पछा। उत्तर में सुभद्रा कहने लगी, कि-" मेरे भाई शालिभद्र को वैराग्य हुआ है। वह नित्य एक स्त्री को त्यागता है और इस प्रकार बत्तीस स्त्रियें छोड़नी हैं।" धन्ना बोला, कि-" तुम्हारा भाई बहुत कायर है । ऐसा करना कहीं वैराग्य कहलाता है ? वह सब स्त्रियों को एक साथ क्यों नहीं छोड़ता ?"
सुभद्रा बोली-"स्वामीनाथ ! बोलना तो सहज है, लेकिन करना बहुत कठिन है' । धन्ना ने कहा, कि-"ऐसा है ? " सुभद्राने, उत्तर दिया-" हा "। धन्ना ने कहा, कि-" तो मैं सभी स्त्रियों को छोड़ता हूँ"।
सुभद्रा समझ गई, कि यह हँसी करते खासी हुई। सुभद्रा और धन्ना की अन्य स्त्रियों ने उसे बहुत समझाया, लेकिन धन्ना अपने निश्चय पर से न टला। तब धन्ना की स्त्रियों ने कहा, कि-"यदि आप नहीं मानते हैं, तो हम भी दीक्षा लेंगी " धन्ना ने उत्तर दिया, कि-"यह तो बड़े आनन्द की बात है"। धन्ना की स्त्रियें भी दीक्षा लेने के लिये तयार हो गई।
धन्ना, शालिभद्र के घर आया और आवाज दी -"अरे कायर ! वैराग्य ऐसा होता है । मैं आठ स्त्रियों