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पिता ने कहा - " बच्चो ! तुम किस वस्तु में अपना भाग चाहते हो ? यह सब सम्पत्ति तो धन्ना की है । तुम्हारे शरीर पर तो कपड़ा भी नहीं था, फिर भाग कैसे चाहते हो ? धन्ना की सम्पत्ति, तुम लोगों में नहीं बँट सकती । " धन्ना के तीनों भाई कहने लगे, कि - "हम सब कुछ जानते हैं । धन्ना घर से रत्न चुराकर यहाँ भाग आया है। हमें हिस्सा दीजिये, नहीं तो फजीहत होगी । "
भाइयों की बातों को सुनकर धन्ना विचारने लगा, कि - यह तो फिर से कलह हुआ । मेरे को कलह अच्छा नहीं लगता, इसलिये परदेश जाऊँगा और वहाँ कमाऊँगा तथा आनन्द करूँगा ।
इस प्रकार विचार करके धन्ना प्रातःकाल जल्दी उठकर चल दिया ।
धन्ना, कौशाम्बी नगर में आया । कौशाम्बी के राजा के दरबार में मणि की परीक्षा होती थी । उस मणि की परीक्षा कोई न कर सका । धन्ना ने उस मणि की परीक्षा की। मणि की परोक्षा कर देने के कारण, राजा ने अपनी लड़की धन्ना के साथ विवाह दी ।
यहाँ धन्ना ने धनपुर नाम का ग्राम बसाया । धनपुर ग्राम में और सब बातों का तो सुख था, लेकिन पानी का