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कुटुम्बी हैं। धन्ना विचारने लगा, कि मेरे कुटुम्बी इस दशा में कैसे हैं ? - . अपने कुटुम्बियों से इस स्थिति में पहुंचने का कारण पूछा । धन्ना के पिता ने उत्तर में कहा, कि-"बेटा! भाग्य की बलिहारी है। जब तक तू था, तब तक सभी तरह से आनन्द था, लेकिन घर से तेरे जाते ही धन भी चला गया। राजा को तेरे चले जाने की खबर मिलने पर उसने हमको बहुत हैरान किया । हमारा धन छीनकर हमें भिखारी बना दिया। इस भिखारीपने से हम वहाँ कैसे रह सकते थे। इसलिये हम परदेश को चल दिये"।
धन्ना ने अपने कुटुम्बियों को अपने साथ रखा। वह सब को अच्छा-अच्छा भोजन कराता, सब को अच्छेअच्छे कपड़े पहनाता और सब की अभिलाषा पूरी करता।
राजगृह के सब लोगों को धन्ना बहुत प्रिय था । सब लोग धन्ना की ही पूछ करते थे, धन्ना के भाइयों को तो कोई पूछता ही न था। सब धन्ना की ही बड़ाई करते थे । धन्ना के भाइयों को यह बात सहन न हुई। वे पिता के पास आकर बोले, -"पिताजी ! आप हमारा भाग अलग करके हमें दे दीजिये, धन्ना के साथ रहना हमें स्वीकार नह है"।