________________
स्तूरी और किसी ने बरास लिया । इसी प्रकार कपूर, चन्दन, अगर आदि समस्त अच्छा-अच्छा किराना व्यापारियों ने ले लिया। पीछे से केवल नमक की तरह की मिट्टी का ढेर रह गया।
सब व्यापारियों ने कहा, कि-यह मिट्टी का ढेर धन्ना को दे दो। धन्ना अभी लड़का है, समझदार तो है नहीं, इमलिये यह मिट्ठी उसी को दे दो। एक व्यापारी धन्ना से बोला, कि-"धन्ना ! तू व्यापार का प्रारम्भ करता है, इसलिये यह नमक ले जा। इस नमक को ले जाने से व्यापार का बहुत अच्छा शकुन होगा। दूसरे व्यापारी ने पहले व्यापारी के इस कथन का समर्थन करते हुए धन्ना से कहा, कि-ये सेठजी ठीक कहते हैं। धन्ना समझ गया, कि-ये सब लोम मुझे उल्लू बनाते हैं, लेकिन देखता हुँ, कि कौन उल्लू बनता है। कोई चिन्ता कि बात नहीं है । इस प्रकार विचार कर धन्ना ने कहा, कि-" मेरे भाग्य में यह नमक है, तो कोई हर्ज नहीं, मैं इसे ही ले लँगा"
धन्ना, उस नमक को लेकर घर आया । धन्ना की लाईहइ नमक की-सी मिट्टी को देखकर तीनों भाई पिता से कहने लगे, कि-"पिताजी ! अपने समझदार लड़के की करतूत देखो । हम कहते ही थे, कि-सच्चे व्यापार में पराक्षा होती है। शहर में और सब ने तो अच्छा