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को 'चौरीवाला जिनालय' भी कहा जाता है। इस चौमुखजी जिनालय से आगे लगभग 70-80 सीढियाँ चढने पर बायीं तरफ सहसावन श्री नेमिनाथ भगवान की दीक्षा-केवलज्ञान कल्याणक भूमि की तरफ जाने का मार्ग आता है। और दायीं तरफ 15-20 सीढियाँ चढने पर 'गौमुखीगंगा' नामक स्थान आता है। (14) रहनेमि का जिनालय : श्री सिद्धात्मा रहनेमिजी (51 इंच)
गौमुखीगंगा के स्थान से लगभग 350 सीढियाँ ऊपर चढने पर दायीं तरफ रहनेमि का जिनालय आता है। इस जिनालय के मूलनायक सिद्धात्मा श्री रहनेमि की श्यामवर्णी प्रतिमा बिराजमान है। अखिल भारत में प्रायः एकमात्र यही जिनालय है जहाँ अरिहंत परमात्मा न होते हुए भी सिद्धात्मा श्री रहनेमि की प्रतिमा मूलनायक के रूप में बिराजमान है। श्री रहनेमि बाईसवें तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान के छोटे भाई थे। जिन्होंने दीक्षा लेकर गिरनार की पवित्र भूमि में संयमसाधना करके, सहसावन में केवलज्ञान और मोक्षपद प्राप्त किया था।
अंबाजी की ट्रॅक : रहनेमि के जिनालय से आगे लगभग 535 सीढियाँ चढने पर अंबाजी की ढूंक आती है। यहाँ अंबिका देवी की प्रतिमा बिराजमान की गई है। इस मंदिर के पीछे श्री नेमिनाथ भगवान की पादुकायें स्थापित की गई हैं।
गोरखनाथ की ट्रॅक : अंबाजी की ढूंक से लगभग 100 सीढियाँ उतरकर के पुनः 300 सीढियाँ चढने पर गोरखनाथ की ढूंक आती है। इस ढूंक पर श्री नेमिनाथ भगवान की वि.सं. 1927 वैशाख सुद 3 शनिवार के लेखवाली पादुका स्थापित की गयी है।
ओघड ट्रॅक (चौथी ट्रॅक) : आगे 800 सीढियाँ उतरकर ओघड ट्रॅक जाने का रास्ता आता है। इस ओघड ढूंक पर जाने के लिए कोई
त्रितीर्थी