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कहा जाता है। इस जिनालय में मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान है। मांगरोल गाँव के दस्सा श्रीमाली वणिक शेठ श्री धरमचन्द हेमचन्द द्वारा वि.सं. 1932 में इस जिनालय की मरम्मत व शोभावृद्धि का कार्य करवाया गया। (12) मल्लवाला जिनालय : श्री शांतिनाथ भगवान ( 21 इंच )
'शेठ धरमचन्द हेमचन्द' के जिनालय से आगे लगभग 35 से 40 सीढियाँ चढने पर दायीं तरफ 'मल्लवाला जिनालय' आता है। इसमें मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान हैं । इसका उद्धार जोरावरमल्लजी के द्वारा हुआ था, इसलिए यह जिनालय मल्लवाला जिनालय के नाम से पहचाना जाता है।
राजुल गुफा : 'मल्लवाला जिनालय' से दक्षिणदिशा की तरफ थोड़ी सीढियाँ आगे जाते ही पत्थर की एक बडी शिला के नीचे झुककर जाने से वहाँ पर लगभग 1.5 से 2 फुट ऊँचाईवाली राजुल - र - रहनेमि की मूर्ति स्थापित होने के कारण यह स्थान 'राजुल की गुफा' के नाम से पहचाना जाता है।
(13) चौमुखजी जिनालय : श्री नेमिनाथ भगवान (25 इंच )
चौमुखजी के जिनाल्य में वर्तमान में उत्तराभिमुख मूलनायक श्री नेमिनाथ भगवान, पूर्वाभिमुख श्री सुपाश्वनाथ भगवान, दक्षिणाभिमुख श्री चन्द्रप्रभस्वामी भगवान, और पश्चिमाभिमुख श्री मुनिसुव्रतस्वामी हैं । इनकी प्रतिष्ठा वि.सं. 1511 में आ . जिनहर्षसूरि महाराज साहेब ने करवायी थी । यह जिनालय ' श्री शामला पार्श्वनाथ' के नाम से भी जाना जाता है । पूर्व काल में यहाँ मूलनायक श्री शामला पार्श्वनाथ भगवान होने की संभावना रही होगी । इस जिनालय के अंदर के पबासण के चारों कोने मे समकोण स्तंभ के प्रत्येक स्तंभ में 24-24 प्रतिमायें, इस तरह कुल 96 प्रतिमायें खोदी हुई हैं। ये चार स्तंभ चौरी के समान दिखने के कारण इस जिनालय गिरनार तीर्थ
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