________________
सीढियाँ नहीं है, इस ढूंक पर एक बडी शिला पर श्री नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा और दूसरी शिला पर चरण पादुका खोदी गई है।
पाँचवी ट्रॅक (मोक्ष कल्याणक ट्रॅक ) : चौथी ढूंक से लगभग 390 सीढियाँ ऊपर चढने पर पाँचवी ढूंक का शिखर आता है। गिरनार माहात्म्य के अनुसार इस पाँचवी ढूंक पर पूर्वाभिमुख परमात्मा की पादुका वि.सं. 1897 के प्रथम आसोज वद 7 गुरुवार को शा. देवचंद लक्ष्मीचंद द्वारा प्रतिष्ठा करवाने का उल्लेख है। इन पादुकाओं के आगे अब अजैनों द्वारा दत्तात्रेय भगवान की प्रतिमा स्थापित करने में आई है। उस मूर्ति के पीछे की दीवार में पश्चिमाभिमुख श्री नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा खोदी हुई है। जिसको हिन्दूधर्मी शंकराचार्य की मूर्ति मानते हैं। अभी ये ट्रॅक दत्तात्रेय के नाम से प्रसिद्ध है। इस टूंक का संचालन हिन्दू महंत के द्वारा किया जाता है। इस ढूंक से नीचे उतरकर मुख्य सीढी पर आकर वापिस जाने के रास्ते के बदले बाएं हाथ की तरफ लगभग 350 सीढियाँ उतरते ही 'कमंडकुंड' नामक स्थान आता है।
कमंडकुंड : इस कुंड का संचालन हिन्दू महंत के द्वारा होता है। यहाँ नित्य अग्नि की धूनी प्रगट होती है। कमंडकुंड से नैऋत्य कोने में जंगल के मार्ग से रतनबाग की तरफ जा सकते हैं। यह रास्ता विकट और देवाधिष्ठित स्थान है, जहाँ आश्चर्यकारक वनस्पतियाँ हैं। इस रतनबाग में रतनशिला पर श्री नेमिनाथ प्रभु के देह का अग्निसंस्कार हुआ था। इस कमंडकुंड से अनसूया की छठी ट्रंक और महाकाली की सातवीं ढूंक पर जा सकते हैं। वहाँ से लगभग 1200 सीढियाँ नीचे उतरने पर सहसावन का विस्तार आता है। (15) सहसावन (सहस्त्राम्रवन): श्री नेमिनाथ भगवान की दीक्षाकेवलज्ञान भूमि
सहसावन में बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथ भगवान की दीक्षा और
गिरनार तीर्थ
85