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शत्रुजय के १७ उद्धार
- प्रथम उद्धार महाराजा भरत ने कराया।
दूसरा उद्धार भरत चक्रवर्ती की आठवीं पाट पर हुए राजा दण्डवीर्य ने कराया। तीसरा उद्धार श्री सीमंधर स्वामी के उपदेश से एक सौ सागरोपम व्यतीत होने पर ईशानेन्द्र ने कराया। चौथा उद्धार एक करोड़ सागरोपम काल व्यतीत होने के पश्चात् चौथे देवलोक के इन्द्र माहेन्द्र ने कराया। पाँचवाँ उद्धार दस करोड़ सागरोपम काल व्यतीत होने के पश्चात् पाँचवे देवलोक के इन्द्र ब्रह्मेन्द्र ने कराया। छट्ठा उद्धार उसके पश्चात् एक करोड़ लाख सागरोपम व्यतीत होने पर भवनपति के असुर कुमार निकाय के इन्द्र चमरेन्द्र ने कराया। सातवाँ उद्धार श्री अजितनाथ भगवान के शासन में चक्रवर्ती सगर ने कराया। आठवाँ उद्धार श्री अभिनन्दन भगवान के शासन में व्यन्तरेन्द्र ने कराया। नवाँ उद्धार श्री चन्द्रप्रभ स्वामी के शासन में मुनिवर श्री चन्द्रशेखर के उपदेश से उनके पुत्र राजा चन्द्रयशा ने कराया।
शत्रुञ्जय तीर्थ