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कथानकों से जिनेश्वरों देव प्रणीत तत्त्वों को यथार्थ रूप से समझाया गया है।
१९ ज्ञान पंचमी देववंदन - प्रस्तुत ज्ञान पंचमी के देववंदन में ५१ खमासमण के पद एवं पाँच ज्ञान के (मतिज्ञान आदि) पाँच चैत्यवंदन-स्तवन एवं स्तुति दी है। आराधक लोग कार्तिक शुक्ला ५ ज्ञानपंचमी के दिन ज्ञान के सामने इस क्रिया (विधि) को करते है।
२०. तत्व विवेक - इस ग्रंथ की रचना वि. सं. १९४५ में वीरमगाम चातुर्मास में की गयी थी। इसमें आचार्य श्री ने सुदेव-सुगुरु एवं सुधर्म इन तीन तत्त्वों का श्रेष्टतम विवेचन सरल बालगम्य भाषा में किया है।
२१. द्वादश पर्वनी कथा (संग्रह) - इस ग्रंथ में (१) ज्ञान पंचमी, (२) कार्तिक पूर्णिमा, (३) मौन एकादशी, (४) पोप दसमी, (५) मेरु त्रयोदशी, (६) चेत्री पूर्णिमा, (७) अक्षय तृतीया, (८) रोहिणी - तप, (९) पर्युपण, (१०) दीपमालिका, (११) चातुर्मास, (१२) रजः पर्व होली इन द्वादश पर्व संबंधी कथाओं का वर्णन हैं।
२२. दीपावली देववंदन एवं (शारदा) पूजन विधि - प्रस्तुत देववंदन रचना में जैनविधि से दीपावली चोपडा पूजन, सरस्वती-लक्ष्मी पूजन, आरती, गौतमाप्टक, दीवाली का जप-मंत्र, गौतमरास, दीपावली देववंदन में भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण उनकी आराधना की महिमा दर्शाई है।
२३. देववंदन माला - नवपद ओली, दीपावली, ज्ञानपंचमी, सिद्धाचल और चौमासी देववंदन का सामुहिक संकलन है।
२४. नवपद ओली देववंदन - नव दिन की क्रिया विधि की सुगमता के लिए प्रत्येक दिन के पद के अनुसार गुण वर्णनपूर्वक चैत्यवंदन, स्तुतियाँ एवं स्तवन तथा खमासणा का पद दिया हुआ है।
२५. नवपद प्रश्नोत्तर - जिन प्रतिमा पूजा संवन्धी एवं अन्य नवपद संबंधी प्रश्नी के शास्त्रोक्त उत्तर प्रमाण सहित दिये है।
२६. नीति शिक्षा द्वय पच्चीसी - २५ वालों में सामान्य जन-जीवन में व्यवहार योग्य नीति शिक्षा संबंधी बातें हैं।
२७. पांच सप्ततिशय स्थान चतुष्पदी - श्री सोमतिलकसूरि विरचित सत्तरिसय टाणापगरण नामक गाथामय ग्रंथ पर आधारित यह ग्रंथ है। परन्तु आचार्य श्री ने पाँच स्थान इतर जैन ग्रंथों से उद्धत कर इसमें रखे है।
२८. पदवी विचार सज्झाय - इसमें ५६३ प्रकार के जीवों के २४ दंडको में से आया हुआ जीव देवाधिदेव, केवली, चक्रवर्ती आदि १६ पदवियों में से कौन कितनी और कौन-कौन सी पदवी प्राप्त कर सकता है इसका दंडक प्रकरण के अनुसार वर्णन किया है।
२९ पाइयसद्दम्बुहि (प्राकृत शद्गाम्बुधि) कोष - यह कोप भी अभिधान राजेन्द्र वृहत् प्राकृत कोप का संक्षिप्त रूप है।
३०. पुंडरीकाध्ययन सज्झाय - इस सज्झाय में १६ गाथा है। इसमें परमात्मा ૪૨૪ + ૧૯મી અને ૨૦મી સદીના જૈન સાહિત્યનાં અક્ષર-આરાધકો