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________________ मझुंजय तीर्थ । इस मंत्रीश्वरने वीरधवल राजा की ओरसे इस तीर्थ की पूजा के लिये अर्कपालित ( अंकेवालिय ) नामक गाँव दिलाया था । मंत्रीश्वरने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती ललितादेवी के नाम पर ललित सरोवर नामक एक रमणीय स्वच्छ जल से भरा तहाग ( तालाब ) भी बनवाया था। तथा इन्होंने श्री मूलनायकजी भादीश्वर भगवान की प्रतिमा के लिये सोनेका उज्वल प्रकाशमय पृष्ठपत्र ( भामंडल ) बनवा कर अर्पण किया था। मापने निजमन्दिर पर तीन सुवर्ण के कलश बनवाकर स्थापित करवाए थे। और इन्होंने इस मन्दिर के द्वारपर कोरणीवाले लक्ष्म्यंकित तोरण करवाए थे जो अति आकर्षक पाषाण से निर्मित किये गये थे । मंत्री वस्तुपाल के भाई मंत्रीश्वर तेजपालने भी इस तीर्थ पर श्री नंदीश्वर तीर्थ की रचना करवाई थी। तथा इसके अतिरिक्त अपनी धर्मपत्नी अनुपमा देवी के स्मारक में एक मनोहर श्री विजयसेन सूरि के शिष्यरत्न श्री उदयप्रभसूरि रचित धर्माभ्युदय काव्य मर्ग १५ वॉ के श्लोक २४ से ३८।। शेत्रुजे द्रव्य सफलो कियोये अढ़ार कोडि छन्नु लाख; कही १० वी तोरण विण्य चढावियाये एहज शेत्रुजे गिरिनारी; सोनया त्रिहुं लाखनोए एकेको श्रीकार , .. शेव॒जना संघवी थया ए साडी चा (बा)रेह यात्र; घ. . वस्तपाल तेजपाल करीए निर्मल कीधों गात्र; ध. कडी २५ वी एहवी साडी बारह यात्रा कीधी शेर्बुज संघवी पद(वी) लीधी; कडी ३४ वी - कडी १७वी
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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