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________________ ४ : संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार आज भारत के विविध राज्यों की अपनी-अपनी भाषा है, संस्कृत भाषा कोई एक राज्य की नहीं परंतु समूचे राष्ट्र की भाषा है। अंग्रेजी को विश्वभाषा और हिंदी को राष्ट्रभाषा कहा गया है, क्योंकि आदान-प्रदान के लिए वो अपनी-अपनी जगह पर अधिक प्रचलित है। केवल जब ग्रंथसर्जन की बात करें तो संस्कृत का गौरव अपूर्व है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष के विषय में संस्कृत साहित्य का जो अवदान है वह अपने आप में अनूठा है। ईसा पूर्व २००० से लेकर आजतक संस्कृत भाषा में महामनीषियों के द्वारा नवसर्जन होता रहा है। प्राचीन संस्कृत ग्रंथकारों के विषय में अनेक इतिहास ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। पिछले सौ-डेढ़सौ साल में संस्कृत नवसर्जन की धारा में बहुत सारे नए नाम आए हैं। सभी का सामूहिक परिचय एक साथ उपलब्ध हो ऐसी एक सर्वांगीण किताब बनानी चाहिए। .... हमनें इस निबंध में आधुनिक जैन ग्रंथकारों का वर्गीकरण करके आधुनिक जैन ग्रंथकारों के योगदान का प्राथमिक परिचय देने का प्रयास किया है। आधुनिक जैन ग्रंथकारों की संख्या १५५ तक पहुंची है। ... छोटे-छोटे लेख, स्तोत्र, अष्टक आदि का समावेश हमने नहीं किया है फिर भी ग्रंथ संख्या ७००के आगे निकल चुकी है। हमें लगता है कि संस्कृत भाषा के अन्य जैन ग्रंथकार भी होंगे जो हमारी जानकारी में नहीं आए हैं। हम उन सभी अज्ञात ग्रंथकारों से क्षमायाचना कर लेते हैं। .. जैन ग्रंथों की प्रधान भाषा प्राकृत है। आधुनिक प्राकृत ग्रंथों का भी हमने इस निबंध में समावेश कर लिया है। संस्कृत भाषा कठिन है, प्राकृत भाषा सरल है फिर भी आधुनिक जैन ग्रंथों की प्रमुख भाषा संस्कृत भाषा दिख रही है क्योंकि ७०१ ग्रंथों में से प्राकृत ग्रंथों की संख्या है केवल ३२ और बाकी के ६६९ ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। __वैदिक धर्म, बौद्धधर्म और अन्य धर्मों के भारतीय एवं विदेशी ग्रंथकारों ने संस्कृत भाषा में जो भी नवसर्जन किया है उसका विशाल सूचीकरण जब होगा तब जैनधर्म के आधुनिक ग्रंथकारों की प्रस्तुत सूची अवश्य उपयोगी सिद्ध होगी। आने वाले समय में हम इन्हीं ग्रंथों का विस्तृत परिचय तैयार करेंगे। " जैनधर्म की चार प्रमुख धाराएँ वर्तमान में प्रसिद्ध हैं- श्वेतांबर मूर्तिपूजक, दिगंबर, स्थानकवासी और तेरापंथी। चारों परंपराओं के आधुनिक संस्कृत साहित्य का सूचीकरण एक साथ पर करना- यह भी शायद जैनसंघ में नया प्रयोग है।
SR No.023271
Book TitleSanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevardhi Jain
PublisherChaukhambha Prakashan
Publication Year2013
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size5 MB
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