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संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार : ४७
७. शुद्धोपयोगः
८.चेतनशक्तिः ९. परब्रह्मनिराकरणम् २. श्री न्यायविजयजी म. १. अध्यात्मतत्त्वालोकः २. अज्झत्ततत्तालोओ (प्राकृत) ३. श्री धर्मधुरंधरसूरिजी म. अध्यात्मसारानुगमः ४. श्री प्रशमरतिविजयजी म. संवेगरतिः ५. गिरिश शाह १. योगतत्त्वविवेचनम् २. आत्मतत्त्वसमीक्षणम् ३. नमस्कारपदावलिः ४. आशाप्रेमस्तुतिः
दिगंबर परंपरा संभवतः ग्रंथ रचना नही हुई है।
स्थानकवासी परंपरा संभवत: ग्रंथ रचना नही हुई है।
तेरापंथी परंपरा १. श्री तुलसीजी म. सी. मनोऽनुशासनम् २. श्री महाप्रज्ञजी म. संबोधिः
(अर्वाचीन ग्रंथकारों ने कुल मिलाकर २७ के आसपास अध्यात्म ग्रंथ लिखे हैं। हिंदी-गुजराती-अंग्रेजी आदि भाषा में गद्य-पद्य नवरचना विशाल संख्या में हुई है।)