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१२. अध्यात्म-योग- साहित्य
धर्म प्रवृत्ति मे एक हो जाना और विशेष आत्मशुद्धि करना यह अध्यात्म - योग है| अध्यात्म - योग संबंधी मार्गदर्शन आगमशास्त्रों में भी मिलता है।
श्वेतांबर मूर्तिपूजक परंपरा में श्री हरिभद्रसूरिजी म., श्री हेमचंद्रसूरिजी म., श्री हर्षवर्धनोपाध्याय, श्री यशोविजयजी म. आदि ग्रंथकारों ने अध्यात्म - योग विषयक ग्रंथो की रचना की है।
दिगंबर परंपरा में श्री देवनंदि, श्री प्रभाचंद्र, श्री अजितदेव, श्री आशाधर, श्री शुभचंद्र आदि ग्रंथकारों ने अध्यात्म - योग विषयक ग्रंथों की रचना की है। अर्वाचीन ग्रंथकारों ने अध्यात्म - योग विषयक ग्रंथों की रचना की है।
१. प्राचीन ग्रंथ पर टीका
श्वेतांबर मूर्तिपूजक परंपरा
१. श्री नेमिसूरिजी म.
२. श्री भद्रंकरसूरिजी म.
१. अध्यात्मोपनिषत् - टीका
३. श्री शुभंकरसूरिजी म. ४. श्री मित्रानंदसूरिजी म. ५. श्री कल्याणबोधिसूरिजी म.
१. सत्त्वोपनिषद्
६. श्री यशोविजयजी म.
१. श्री बुद्धिसागरजी म.
१. अध्यात्मगीता
३. आत्मप्रदीपः
५. आत्मदर्शनगीता
अध्यात्मोपनिषद् विवरणम्
२. अध्यात्मसार - टीका
ज्ञानसार- टीका
अध्यात्मबिंदु टीका
२. श्रामण्योपनिषद् अध्यात्मोपनिषत्-टीका
२. नूतन रचना
२. आत्मस्वरुपम्
४. आत्मसमाधिशतकम्
६. परमात्मदर्शनम्