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________________ १३. उपदेश साहित्य धर्म का आचरण करने के लिये प्रेरित करने वाले सरल-सरस ग्रंथों का उपदेश साहित्य में समावेश होता है। श्वेतांबर परंपरा में श्री धर्मदासमणिजी म., श्री हरिभद्रसूरिजी म., श्री जिनदत्तसूरिजी म., श्री देवभद्रसूरिजी म., श्री मुनिसुंदरसूरिजी म. आदि ग्रंथकारों ने उपदेश विषयक ग्रंथों की रचना की है। दिगंबर परंपरा में श्री गुणभद्र, श्री प्रभाचंद्र, श्री अमृतचंद्र आदि ग्रंथकारों ने उपदेश विषयक ग्रंथों की रचना की है। अर्वाचीन ग्रंथकारों ने उपदेश विषयक ग्रंथों की रचना की है। श्वेतांबर परंपरा १. श्री बुद्धिसागरजी म. १. महावीरगीता ३. कृष्णगीता ५. प्रजासमाजकर्तव्यम् ७. सुदर्शनाप्रबोधः ९. ज्ञानदीपिका ११. दयाग्रंथः २. श्री लावण्यसूरिजी म. श्री न्यायविजयजी म. १. आत्महितोपदेशः ३. जीवनहितम् ५. जीवनभूमिः ७. उपदेशसारः ३. २. प्रेमगीता ४. संघकर्तव्यम् ६. चेतकप्रबोधः ८. श्रेणिकसुबोधः १०. शोकविनाशकग्रंथः १२. जीवनप्रबोधः देवगुर्वष्टकम् २. जीवनपाठोपनिषद् ४. जीवनामृतम् ६. कल्याणमार्गमीमांसा ८. कल्याणभावना
SR No.023271
Book TitleSanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevardhi Jain
PublisherChaukhambha Prakashan
Publication Year2013
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size5 MB
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