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________________ संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार : २३ ४. बंधविहाणउत्तरपयडिभूयस्कारादिबंध - १ ५. बंधविहाणउत्तरपयडिभूयस्कारादिबंध :- २ ६. बंधविहाणउत्तरपयडिभूयस्कारादिबंध :- ३ ५. श्री गुणरत्नसूरिजी म. १. खवगसेढी २. खवगसेढी टीका ४. बंधविहाणमूलपयडिबंधटीका ३. उपशमनाकरणम् ६. श्री जगच्चंद्रसूरिजी म. १. बंधविहाणमूलपयडिठिईबंधटीका २ . बंधविहाणउत्तरपयडिठिईबंधटीका ७. श्री विचक्षणसूरिजी म. बंधविहाणउत्तरपयडिंबंधटीका ८. श्री जितेन्द्रसूरिजी म. बंधविहाणउत्तरपयडिरसबंधटीका ९. श्री जयघोषसूरिजी म. बंधविहाणउत्तरपयडिपएसबंधटीका १०. श्री राजशेखरसूरिजी म. बंधविहाणमूलपयडिपएसबंधटीका ११. श्री जयशेखरसूरिजी म. बंधविहाणमूलपयडिरसबंधटीका १२. श्री बुद्धिसागरसूरिजी म. १. कर्मयोगः २. कर्मप्रकृतिः दिगंबर-स्थानकवासी-तेरापंथी परंपरा में कर्म विषयक नूतन साहित्य की रचना संभवत: नहीं हुई है। (अर्वाचीन ग्रंथकारों ने कुल मिलाकर २६ के आस-पास कर्म विषयक नूतन ग्रंथों की रचना की है। कर्म साहित्य संबंधी हिंदी - गुजराती-अंग्रेजी पुस्तकें विशाल संख्या में लिखी गई हैं। )
SR No.023271
Book TitleSanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevardhi Jain
PublisherChaukhambha Prakashan
Publication Year2013
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size5 MB
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