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________________ ३४ जैन कथा कोष आकर मुझे वहां की स्थिति बताना | शिष्य कालधर्म प्राप्त कर गया। देव भी बना, पर वहां के ऐश्वर्य में इतना लुब्ध हो गया कि वहां से आकर गुरु को कहने की बात ही भूल बैठा। इधर उसके न आने पर गुरुजी को पक्का विश्वास हो गया कि न स्वर्ग है, न नरक और न ही पुण्य-पाप, न मोक्ष आदि का कोई अस्तित्व है। ये सब तो यों ही अपना गुरुडम जमाने की धर्माचार्यों की धांधली है। व्यक्ति की श्रद्धा जब तक बलवती और दृढ़ रहती है, तब तक व्यक्ति अपने आपको उस पर पूर्ण रूप से न्योछावर कर देता है, पर जब वह हिल जाती है, तब उसे कहीं का भी नहीं छोड़ती। आचार्यजी भी अनास्था के दलदल में बुरी तरह धंस चुके थे। अतः इस निर्णय पर आ गये कि साधुवेश का परित्याग करके घर-ग्रहस्थी में जाकर जीवन की मौज-बहारें लूटनी चाहिए। आखिर व्यर्थ का कायक्लेश सहा भी क्यों जाये? स्वर्ग नरक तो हैं ही नहीं, यदि होते तो मेरा प्रिय शिष्य लौटकर क्यों नहीं आता? वह वचनबद्ध जो हो चुका था। यही विचार कर गुरुजी घर की ओर बढे। उधर उस शिष्य देव को भी गुरुजी को दिये हुए अपने वचन का स्मरण हो आया। उसने जो अवधिज्ञान से पता लगाया तो गुरुजी की इस बदली हुई मनोदशा पर दंग रह गया। अपनी की हुई असावधानी पर अनुताप करता हुआ वहां आया। उसने सोचा-गुरुजी जा तो रहे हैं, पर उनके संभलने के दो ही पहलू हैं। यदि अब भी दिल में दया और आंखों में लज्जा होगी तो मेरे द्वारा स्वर्ग का परिचय देने पर विश्वास जम सकता है, अन्यथा नहीं। यों विचार कर उनकी दया को परखने के लिए उसने अपनी देवशक्ति विकुर्वित की। गुरुजी को निर्जन जंगल में छः अबोध बच्चे मिले जो गहनों से लदे हुए थे। गुरुजी ने जब उनका परिचय जानना चाहा, तब वे बोले-'हम अपने अभिभावकों के साथ आपश्री के दर्शन करने चले थे, पर हम सब पथ भूल गये। सभी तितर-बितर हो गये।' नाम पूछने पर छहों ने अपना-अपना नाम बताया-पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वासुकायिक, वनस्पतिकायिक और त्रसकायिक। षट्कायिक जीवों के नाम पर इनके नाम सुनकर गुरुजी ने इन्हें धर्म-निष्ठ श्रावकों के पुत्र जाना और सोचा—इन जीवों की रक्षा करते तो सारा जीवन बिता दिया, लेकिन अब तक कोई सुफल नहीं मिला। पगचंपी करने वाला एक
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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