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________________ ३३२ जैन कथा कोष गद्दी पर बैठे और सानन्द राज्य का संचालन करने लगे। सभी राजाओं पर विजय पाकर छह खण्ड पर अपना अधिकार जमाकर चौथे चक्रवर्ती बने। ___'सनतकुमार' चक्रवर्ती की रूप-संपदा असाधारण थी। एक बार प्रथम स्वर्ग के स्वामी सौधर्मेन्द्र ने अपनी देवसभा में चक्रवर्ती के रूप की मुक्त कंठ से सराहना की। दो देवताओं को इस प्रशंसा में कुछ चाटुकारिता-सी लगी। दोनों देव परीक्षा करने चले आये। ब्राह्मण के वेश में वहाँ पहुँचे। जिस समय वे वहाँ पहुँचे, उस समय चक्रवर्ती स्नान करने बैठे थे। शरीर पर विलेपन किया हुआ था। देवताओं ने रूप-लावण्य देखकर मस्तक झुकाया। चक्रवर्ती ने पूछा-'भूदेव ! कैसे आये?' . भूदेव ने कहा—'राजन् ! आपके रूप की महिमा सुनी थी। उसे देखने को हम ललचा उठे। इसलिए बहुत दूर से हम चले आये, पर जो सुना था उससे अधिक ही सौन्दर्य आप में देखने को मिला।' अपनी महिमा सुनकर चक्रवर्ती मन-ही-मन फूल उठा। ब्राह्मणों से कहा—'भूदेव ! अभी क्या देख रहे हो? अभी तो कुछ वस्तुओं का शरीर पर विलेप नहीं हुआ है। वस्त्राभूषण भी उतारे हुए हैं। जब वस्त्राभूषण पहनकर राज्य-सिंहासन पर बैलूं, तब आकर देखना।' ब्राह्मण देव ने कहा—'बहुत अच्छा, राजन् ! उस समय भी आयेंगे।' चक्रवर्ती स्नानघर से निकलकर विविध वस्त्राभूषणों से अलंकृत होकर राज्यसभा में स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हो गये। सभी चक्रवर्ती के ऐश्वर्य की सराहना कर रहे थे। वे दोनों भूदेव भी आये। चक्रवर्ती को देखा | चक्रवर्ती ने सोचा-ये मेरी प्रशंसा करेंगे, पर दोनों ब्राह्मणों ने नि:श्वास फेंका। उन्हें नि:श्वास फेंकते देखकर चक्रवर्ती चौंका और उनसे नि:श्वास फेंकने का कारण पूछा। तब द्विजवर बोले-'राजन् ! पहले वाला रूप अब नहीं रहा। पहले आपका शरीर अमृतमय था, अब वही विषमय बन गया है। लगता है, सोलह रोगों के अंकुर फूट पड़े हैं। यदि इसे परखना हो तो थोड़ा-सा मुंह से थूककर देख लीजिए। थूक पर मक्खियाँ बैठते ही मर जाएंगी।' चक्रवर्ती ने सहसा थूककर देखा। थूक पर जो भी मक्खियाँ बैठीं, वे मर गई। तब 'सनतकुमार' को भान हुआ, हो न हो मेरे शरीर में अभिमान के कारण रोग का आक्रमण हुआ । नश्वर शरीर से मोह हटाया। सारे वैभव को ठुकराकर संयमी बनकर चल पड़े। सारे रत्न, सभी नरेन्द्र, सेना और नौ निधियाँ छह माह
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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