SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन कथा कोष १३ उलाहना दिया । उन्हें प्रभु के पास लाकर नाव की सारी कहानी सुनाई और पूछा—' आपके इस बाल मुनि के कितने भव शेष हैं? प्रभु ने उनसे कहा'यह बाल - मुनि इसी भव में मोक्ष जाने वाला है, इसकी निन्दा मत करो, बल्कि इसकी भक्ति करो । ' अतिमुक्तक मुनि ने अपना स्वरूप सँभाला और किये हुए दोष की आलोचना की। संयम-पथ पर बढ़ते-बढ़ते ग्यारह अंगों का अध्ययन किया । अन्त में गुणरत्न संवत्सर नामक तप करके विपुलगिरि पर्वत पर केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष पधारे। -अन्तकृद्दशा सूत्र __भगवती ४१८ ११. अतिमुक्तक मुनि ( उग्रसेन पुत्र) वसुदेवजी कंस के शिक्षा - गुरु थे और उस पर पुत्रवत् स्नेह रखते थे । उन्होंने ही उसे अस्त्र-शस्त्र विद्या सिखाई थी तथा अन्य कलाओं का भी ज्ञान कराया था । जब सिंहरथ को वसुदेव ने वश में किया और उसकी विजय का यश कंस को दे दिया; तब कंस का राजा जरासंध की पुत्री से विवाह हो गया और उसे मथुरा का राज्य भी मिल गया। इस घटना से तो कंस वसुदेवजी के उपकार से दब ही गया । कंस ने मुत्तिकावती के राजा देवक, जो उसका काका लगता था, की पुत्री देवकी से वसुदेवजी का विवाह करा दिया । इस विवाह की खुशी में मथुरा दुल्हन की तरह सज गई। चारों ओर आमोद-प्रमोद मनाये जाने लगे। नगरी में रास-रंग का वातावरण था । कंस-पत्नी जीवयशा ने छककर शराब पी और नशे में झूमने लगी । 'उसी समय अतिमुक्तक मुनि गोचरी - हेतु आये । अतिमुक्तक संसारी नाते से राजा उग्रसेन के पुत्र और कंस के छोटे भाई थे। जब कंस ने उग्रसेन को बन्दी बना कर मथुरा का सिंहासन छीना तब इस घटना से दुःखी होकर वे प्रव्रजित हो गये और घोर तपस्या के कारण उन्हें अनेक लब्धियाँ भी प्राप्त हो गई थीं । मुनि अतिमुक्तक (देवर) को देखकर जीवयशा भान भूल गई । उसे नशे में देखकर मुनिश्री वापस मुड़ने लगे तो वह दरवाजे में अड़ गई और उनसे शराब पीकर नाचने-गाने का आग्रह करने लगी। मुनि तो क्षमा के सागर थे। उन्होंने बहुत प्रयास किया कि वे बचकर निकल जाएं, लेकिन मदान्ध जीवयशा ने उन्हें
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy