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________________ जैन कथा कोष २१५ सभी दर्शकों के मन में कौतूहल और विस्मय जगा, तब भगवान् के प्रथम गणधर गौतमी स्वामी ने पूछा---'प्रभु ! यह देव कौन था?' प्रभु ने अपने प्रिय शिष्यों के सामने सारी बात यों कही गौतम-यह इसी 'राजगृही' में रहने वाला 'नन्दन मणिकार' था। नमः में वह प्रतिष्ठित तथा अच्छा ऋद्धिसम्पन्न था। मैं विहार करता हुआ एक बार 'राजगृही' में आया। तब उसने मेरे पास श्रावक धर्म स्वीकार किया और बारह व्रतों की साधना करने लगा। मैं वहाँ से अन्यत्र चला गया। 'नन्दन' सत्संग के अभाव में शनैः-शनैः धर्मविमुख होने लगा । आत्मभाव को भूलकर विभाव में फंसने लगा। सम्यक्त्व से दूर होकर मिथ्यात्व दशा के निकट पहुँच गया। संयोग की बात थी एक बार उसने ग्रीष्म ऋतु में तीन दिन के व्रत सहित पौषध किया। गर्मी की अधिकता से रात को उसे तीव्र प्यास लगी। प्यास के कारण नींद भी उचट गई। करवटें बदलता रहा। नींद और प्यास से बेहाल बना 'नन्दन मणिकार' सोचने लगा—'धन्य है उन्हें जो 'राजगृही' में कुएं, बावड़ी, तालाब आदि जलाशय बनवाते हैं, जिसके जल का उपयोग अनेक व्यक्ति करते हैं। कोई स्नान करता है तो कोई पीता है। यों अनेकानेक व्यक्तियों को जीवन (जल) देकर लोगों के जीवनदाता बनते हैं। मैं भी पौषध पूर्ण करके यहाँ राजा 'श्रेणिक' की आज्ञा लेकर एक सुन्दर बावड़ी बनवाऊँगा, जिसमें सब तरह की सुख-सुविधा लोगों को उपलब्ध हो सके, ऐसी व्यवस्था वहाँ करूँगा।' दूसरे दिन पौषध करके वह अपनी दैनिक चर्या से निवृत्त हुआ। सुन्दर वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित होकर 'नन्दन मणिकार' महाराज श्रेणिक' के दरबार में उपस्थित हुआ। अच्छा-सा व्यवहार राजा के सामने रखकर अपनी मनोभावना व्यक्त की और बावड़ी बनवाने के लिए आज्ञा लेनी चाही। राजा का आदेश प्राप्त करके नगर के बाहर एक बहुत.सुन्दर बावड़ी बनवा दी, जिसे देखकर सभी लोग 'नन्दन' को साधुवाद देने लगे। बावड़ी के चारों कोनों में भोजनशाला, चित्रशाला, चिकित्सालय तथा अलंकारशाला की भी साथ-साथ व्यवस्था की, जिससे सारी सुविधाएं और सभी आमोद-प्रमोद के साधन एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकें । जन-जन के मुख से अपनी प्रशंसा सुनकर 'नन्दन' का मन बाँसों उछलने लग जाता। ... भाग्य दशा ने करवट ली। नन्दन के शरीर में सोलह महारोग उत्पन्न हो
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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