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________________ २१४ जैन कथा कोष धारण करके संयम लेगा तथा मोक्ष में जायेगा । - निरयावलिका १/४ १२२. नन्दन बलभद्र नन्दन बलभद्र वाराणसी नगरी के राजा अग्निसिंह के पुत्र थे । राजा अग्निसिंह के दो रानियाँ थीं— जयन्ती और शेषवती । रानी जयंती ने चार उत्कृष्ट स्वप्न देखकर गर्भ धारण किया। ये स्वप्न बलभद्र के उत्पन्न होने के सूचक थे । रानी जयन्ती के गर्भ में पाँचवें स्वर्ग से च्यवकर मुनि वसुन्धर का जीव आया । नन्दन बलभद्र ही पूर्वभव में वसुन्धर थे । वसुन्धर जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र की सुसीमा नगरी का राजा था। उसने मुनि सुधर्म से संयम लिया और निरतिचार संयम का पालन कर आयु पूर्ण की और ब्रह्मदेवलोक में देव बने । वहाँ से च्यवकर रानी जयन्ती के गर्भ में आये । यथासमय पुत्र का जन्म हुआ और उसका नाम नन्दन रखा गया। योग्य समय पर नंदन ७२ कलाओं में निष्णात हो गये । इनके छोटे भाई, जो रानी शेषवती के अंगजात थे, उनका नाम था दत्त, जो दत्त वासुदेव के नाम से प्रसिद्ध हुए । नन्दन ने अपने छोटे भाई दत्त वासुदेव के साथ मिलकर प्रतिवासुदेव प्रह्लाद के साथ युद्ध किया । छोटे भाई दत्त की मृत्यु के बाद कुछ दिनों तक तो ये मोहग्रस्त होने के कारण विवेकशून्य बने रहे और फिर शोक कम होने पर इन्होंने दीक्षा ले ली। अनेक प्रकार के तप करके केवलज्ञान का उपार्जन किया और आयु पूर्ण होने पर मोक्ष पद प्राप्त किया । इनकी कुल आयु ६५००० वर्ष की थी । - त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र, पर्व ६/५ १२३. नन्दन मणिकार श्रमण भगवान् ‘महावीर' 'राजगृही' के 'गुणशीलक' उद्यान में विराजमान थे । यह सारा वृत्तान्त प्रथम स्वर्ग के दर्दुर नामक देव ने अपने अवधिज्ञान से देखा । सहसा सदलबल प्रभु के दर्शनार्थ आया । अपनी दिव्य ऋद्धि का प्रदर्शन करने के लिए एक दिव्य नाटक समवसरण में दिखाया। नाटक के समाप्त होने पर · देव ने प्रभु की वन्दना की और अपने स्थान पर चला गया।
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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