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________________ १०६ जैन कथा कोष पर लाने की प्रार्थना की। राजा ने उसे समझाया-बुझाया, प्रेरणा दी, दंड का भय दिखाया; लेकिन जब केशरी ने राजा की बात भी इस कान से सुन उस कान से निकाल दी तो रोष में भरकर राजा ने कहा—'तुझे शर्म नहीं आती ! धर्मनिष्ठ सेठ का पुत्र होकर चोरी जैसा निंद्य-कर्म करता है? या तो चोरी करना छोड़ अथवा मेरे राज्य को छोड़कर चला जा।' कर्मों की कैसी विडम्बना अथवा व्यसनों का कैसा अद्भुत प्रभाव कि केशरी ने चोरी नहीं छोड़ी, अपितु राज्य छोड़कर चल दिया। वन में वह एक सरोवर के निकट पहुँचा। पानी पीकर प्यास शांत की। फिर सोचने लगा— आज का दिन कितना बुरा है कि मैंने बिना चोरी किये ही पानी पी लिया है। चौर्य कर्म उसके तन-मन पर कितना छा गया था ! किस बुरी तरह वह इस निंद्य-कर्म से जकड़ गया था ! वह इन विचारों में बैठा ही था कि एक पुरुष आकाश मार्ग से उतरा । वह केशरी को नहीं देख पाया, लेकिन केशरी ने उसे देख लिया। वह पैरों में चमत्कारी खड़ाऊँ पहने था। उन पादुकाओं द्वारा वह आकाश में उड़ता था। अपनी पादुकाओं को एक झाड़ी में छिपाकर वह सरोवर में स्नान करने के लिए उतर गया। केशरी ने मौका देखा और खड़ाऊँ लेकर चम्पत हो गया। पादुका मिलने से केशरी के हाथ में बहुत बड़ा अस्त्र आ गया। वह आकाश-मार्ग से चाहे जहाँ चला जाता और इच्छानुसार निर्भय होकर चोरी करता तथा आकाश में उड़कर किसी भी जंगल में जा छिपता। सबसे पहले वह अपने पिता के घर ही आया और उसे यमलोक पहुँचा दिया। उसके बाद उसकी चोरियों से नगर में हाहाकार मच गया। प्रजा ने राजा से पुकार की। राजा ने नगर-रक्षक से कहा तो उसने कह दिया-चोर आकाश-मार्ग से पक्षी के समान आता है और चोरी करके पक्षी के समान ही उड़ जाता है मैं और मेरा आरक्षी दल उसके सामने निरुपाय है। - अब राजा विजयचन्द्र ने स्वयं ही चोर को पकड़ने का निश्चय किया। वह अपने विश्वस्त सैनिकों के साथ निकल पड़ा। उसने सरोवर, पर्वत-गुफा, जीर्ण उद्यान, मठ आदि सबकुछ छान मारा, लेकिन चोर का कहीं पता न लगा। निराश होकर राजा वन में एक वृक्ष के नीचे लेट गया और चोर को पकड़ने की योजना बनाने लगा। पवन धीरे-धीरे बह रहा था। राजा को केशरकपूर आदि की सुगन्ध आयी। उसने सोचा—यह सुगन्ध वन में कहाँ से आ
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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