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________________ भक्तामर पाठ करने का फल भक्तामर स्तोत्र का विशेष फल एवं सच्चा महत्त्व भगवान के वीतरागी गुणों का हृदय में बहुमान पैदा करना है। भगवान के गुणों में, भगवान की भक्ति में भक्त श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के साथ इस प्रकार लीन हो जाता है कि उसे भगवान के अतिरिक्त कुछ भी दिखाई नहीं देता। भक्त जब इस प्रकार से भगवान की भक्ति करता है तो उसे अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, उसके सांसारिक कष्ट, विघ्न बाधाएँ अपने आप ही दूर हो जाते हैं। यद्यपि बहुत से लोग भक्तामर स्तोत्र का फल अनेक प्रकार से बताते हैं यथा-रोग दूर होना, इष्ट वस्तुओं की प्राप्ति होना आदि। परन्तु जैन धर्म वीतरागता का धर्म है। भगवान की भक्ति वीतरागता प्राप्त करने के लिए की जाती है, अपने निजी स्वार्थ के लिए भगवान की भक्ति करना, भक्तामर स्तोत्र का पाठ करना उचित नहीं है। धर्मध्यान करनेवाले भक्तों को सहज ही लौकिक अनुकूलताएँ मिलती हैं और विघ्न बाधाएँ दूर होती हैं। सच्चे भक्त लौकिक सुख के लिए भक्तामर स्तोत्र का पाठ और भगवान की भक्ति नहीं करते। जो लौकिक सुख के लिए भगवान की भक्ति करते हैं वे मूर्ख हैं। जैसे-किसान धान के लिए खेती करता है, धान के साथ-साथ उसे भूसा अपने आप ही मिल जाता है। यदि कोई किसान सिर्फ भूसा प्राप्त करने के लिए खेती करता है तो वह मूर्ख समझा जाता है। उसी प्रकार भगवान की भक्ति भी वीतरागता और रत्नत्रय धर्म प्राप्त करने के लिए की जाती है। मानतुंग आचार्य ने भी पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान की भक्ति में लीन होकर भक्तामर स्तोत्र की रचना की थी। अतः इस स्तोत्र का उत्तम फल वीतरागता प्राप्त करना है। भक्तामर स्तोत्र का महत्त्व 1. इसका सबसे अधिक महत्त्व यह है कि यह स्तोत्र दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही सम्प्रदायों में समानरूप से प्रचलित है। 2. यह इतना अधिक लोकप्रिय है कि इस स्तोत्र के प्रत्येक पद्य के प्रत्येक चरण को लेकर आपदानिवारण और समस्यापूर्ति के काव्य लिखे जाते रहे हैं, वर्तमान में भी लिखे जा रहे हैं। 3. यह स्तोत्र इतना अधिक प्रचलित है कि इसे सभी भाषाओं और लोक भाषाओं में भी लिखा गया है। अंग्रेजी आदि अनेक विदेशी भाषाओं में भी भक्तामरस्तोत्र :: 97
SR No.023269
Book TitlePramukh Jain Grantho Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeersagar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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