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ज्ञानार्णव संस्कृत टीका : पंडित नयविलास
हिन्दी पद्यमय टीका : लब्धिविनय गणि
हिन्दी वचनिका : पंडित जयचन्द्रजी छाबड़ा
हिन्दी वचनिका का रूपान्तर : पंडित पन्नालाल जी बाकलीवाल
ग्रन्थ का मुख्य विषय
'ज्ञानार्णव' ग्रन्थ महाकाव्य के समान 42 सर्गों (अध्यायों) में विभक्त है। इसकी विषयवस्तु इस प्रकार है
1. मंगलाचरण
2. बारह भावना
3. ध्यान का लक्षण
4. ध्याता के गुण-दोष
5. ध्याता की प्रशंसा
6. सम्यग्दर्शन का वर्णन
7. सम्यग्ज्ञान का वर्णन
8. सम्यक्चारित्र के वर्णन में
(पाँच व्रत, ब्रह्मचर्यव्रत के अन्तर्गत स्त्रीस्वरूप, मैथुन, संसर्ग और वृद्धसेवा आदि विषय हैं, परिग्रह के अन्तर्गत विषय इच्छा का त्याग है। उसके बाद पंचसमिति, कषायनिन्दा, इन्द्रियविषय-निरोध, त्रितत्त्व, मनोव्यापार का प्रतिपादन, राग-द्वेष का निवारण और साम्यवैभव (समताभाव) आदि विषय समाहित हैं ।)
9. आर्त्तध्यान का वर्णन
10. रौद्रध्यान का वर्णन
11. ध्यानविरुद्ध स्थान
12. ध्यानयोग्य स्थान
13. प्राणायाम
14. प्रत्याहार
15. सवीर्य (सबल) ध्यान
16. शुद्धोपयोग - विचार
17. धर्मध्यान का वर्णन
(आज्ञा, अपाय, विपाक, संस्थान - पिण्डस्थ, पदस्थ, रूपस्थ, रूपातीत)
260 :: प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय