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________________ 1. कोई भी सामान्य पुरुष जिसका नाम राजा है, वह नामराजा है। 2. काष्ठ-चित्रादि में स्थापित राजा स्थापनाराजा है। 3. कोई बालक, राजकुमार या मुनि जो राजा होगा या था वह द्रव्यराजा है। 4. वर्तमान में राज्य करनेवाला प्रतापी पुरुष भावराजा है। अब इसको विशेष रूप से जानेंगे, जैसे1. किसी व्यक्ति का नाम अरिहन्त है, परन्तु उसमें अरिहन्त का गुण नहीं है, तो वह मात्र नामनिक्षेप है। 2. कृत्रिम या अकृत्रिम बिम्बों में अर्हन्त परमेष्ठी की स्थापना कर पूजा करना स्थापना निक्षेप है। 3. जो मुनि या श्रावक अरिहन्त अवस्था को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील है वह द्रव्यनिक्षेप है। 4. जो मुनि या श्रावक अरिहन्त के गुणों के अनुरूप ही है, वह भावनिक्षेप है। इस प्रकार नयचक्र ग्रन्थ में प्रमाण, नय और निक्षेप का विशेष वर्णन है। साथ में द्रव्य, पदार्थ और रत्नत्रय आदि विशेष विषयों का भी वर्णन है। अतः यह ग्रन्थ दार्शनिक दृष्टि से बहुत उपयोगी है। कृपया एकाग्र होकर इसका अध्ययन अवश्य करें। इससे श्रावक द्रव्य-गुण-पर्याय, प्रमाण, नय और निक्षेप आदि विषयों को आसानी से समझ सकते हैं। नयचक्र :: 227
SR No.023269
Book TitlePramukh Jain Grantho Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeersagar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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