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सीप के रूप से और चाँदी को चाँदी के रूप से जाना जाता है। सीप में
चाँदी का भ्रम होना प्रमाण नहीं है। (3) जो ज्ञान वस्तु के यथार्थ स्वरूप को सम्यक् रूप से जानता है उसे प्रमाण
कहते हैं।
प्रमाण
परोक्ष प्रमाण
प्रत्यक्ष प्रमाण
मतिज्ञान
श्रुतज्ञान
विकल प्रत्यक्ष
सकल प्रत्यक्ष
अवधिज्ञान
मन:पर्ययज्ञान
केवलज्ञान
परिभाषा
1. परोक्ष ज्ञान : जो ज्ञान इन्द्रिय, प्रकाश एवं उपदेश आदि बाह्य निमित्तों से __ होता है उसे परोक्ष ज्ञान कहते हैं। 2. प्रत्यक्ष ज्ञान : निर्मल या स्पष्ट ज्ञान को प्रत्यक्ष ज्ञान कहते हैं । यह ज्ञान पर
की सहायता के बिना मात्र आत्मा से ही होता है। 3. विकल प्रत्यक्ष : जो ज्ञान कुछ ही पदार्थों को जानता है, उसे विकल __ प्रत्यक्ष ज्ञान कहते हैं। 4. सकल प्रत्यक्ष : जो ज्ञान सभी द्रव्यों को सभी पर्यायों को एक साथ जानता
है, उसे अनुपम सकल प्रत्यक्ष ज्ञान कहते हैं। 5. मतिज्ञान : मन और इन्द्रियों की सहायता से जो ज्ञान होता है, उसे मतिज्ञान
कहते हैं। 6. श्रुतज्ञान : मतिज्ञान से जाने हुए पदार्थ में मन की सहायता से जो विशेष
ज्ञान होता है, उसे श्रुतज्ञान कहते हैं। 7. अवधिज्ञान : इन्द्रियों की सहायता के बिना केवल आत्मा से जो पदार्थों
को एकदेश (थोड़ा कम) जानता है या जो प्रत्यक्ष ज्ञान होता है, उसे अवधिज्ञान कहते हैं।
224 :: प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय