________________
परमात्मप्रकाश
ग्रन्थ के नाम का अर्थ परमात्मप्रकाश जैन अध्यात्म का उत्कृष्ट ग्रन्थ है। परमात्म अर्थात् परम आत्मा। यह ग्रन्थ परम आत्मा पर प्रकाश डालनेवाला उत्कृष्ट ग्रन्थ है। यह आत्मा को परमात्मा बनाने में सहायक है। जैन-अध्यात्म को आसानी से समझने का एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, अतः इसका नाम 'परमात्मप्रकाश' है।
ग्रन्थकार का परिचय परमात्मप्रकाश के रचनाकार का नाम योगीन्दु देव है। इनका समय 6वीं शती माना जाता है। योगीन्दु, योगीन्द्र या योगीचन्द्र का रूपान्तर है और इसका अपभ्रंश रूप जोइन्दु है।
__ परमात्मप्रकाश की रचना आज से लगभग 1300 वर्ष पूर्व मुनिराज योगीन्दु देव ने की है। मुनिराज योगीन्दु देव जैन-अध्यात्म के उत्कृष्ट ज्ञाता थे। वे अत्यन्त सरल-सुबोध ढंग से आत्मकल्याण का मार्ग समझाने में समर्थ थे। अपने शिष्य भट्ट प्रभाकर को मोक्षमार्ग समझाने के लिए इन्होंने परमात्मप्रकाश की रचना की थी। इन्होंने 'परमात्मप्रकाश' के अतिरिक्त 'योगसार' और 'अमृताशीति' नाम के श्रेष्ठ ग्रन्थों की भी रचना की है।
ग्रन्थ का महत्त्व . 1. परमात्मप्रकाश की रचना अपभ्रंश भाषा में हुई है। 2. परमात्मप्रकाश की संस्कृत-टीका आज से लगभग 900 वर्ष पूर्व श्री
ब्रह्मदेव सूरि ने लिखी थी। 3. परमात्मप्रकाश की हिन्दी-भाषा-वचनिका आज से लगभग 250 वर्ष पूर्व
परमात्मप्रकाश :: 213