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इस प्रकार इस महाग्रन्थ 'मूलाचार' में मुनि के आचार का बहुत ही विस्तृत एवं सुन्दर वर्णन किया गया है। मुनिधर्म को जानने के लिए एक स्थान पर इससे अधिक सामग्री का मिलना दुष्कर है। भाषा और शैली की दृष्टि से भी यह ग्रन्थ प्राचीन प्रतीत होता है।
212 :: प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय