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इस प्रकार भगवती आराधना में मनुष्य भव को सार्थक करने के लिए सल्लेखना या समाधिमरण की सिद्धि की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है। शिवार्य ने इस ग्रन्थ में प्राचीन समय की अनेक परम्पराओं को निबद्ध कर साधक जीवन की सफलता पर प्रकाश डाला है।
भगवती आराधना :: 205