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तत्त्वार्थसूत्र
ग्रन्थ के नाम का अर्थ
तत्त्वार्थसूत्र के दो नाम प्रचलित हैं- 1. मोक्षशास्त्र, 2. तत्त्वार्थसूत्र ।
1. मोक्षशास्त्र : इस शास्त्र में मोक्ष एवं मोक्षमार्ग का वर्णन किया गया है इसलिए इसे मोक्षशास्त्र कहते हैं । इस शास्त्र का प्रारम्भ 'मोक्ष' शब्द से होता है, अतः इसका नाम मोक्षशास्त्र है। प्राचीन समय में अनेक ग्रन्थों के नाम पहले अक्षर के आधार पर ही होते थे । जैसे - भक्तामर स्तोत्र, कल्याणमन्दिर स्तोत्र, देवागम स्तोत्र आदि ।
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2. तत्त्वार्थसूत्र : ‘तत्त्वार्थसूत्र' नाम का कारण यह है कि इसमें सात तत्त्वों का सूत्र शैली में वर्णन किया गया है। सूत्र उसे कहते हैं जिसमें कम से कम शब्दों अधिक से अधिक बात निर्दोष रीति से कही जाती है। इस ग्रन्थ में सात तत्त्वों का वर्णन 10 अध्यायों में किया गया है।
ग्रन्थकार का परिचय
तत्त्वार्थसूत्र के रचयिता आचार्य गृद्धपिच्छ उमास्वामी हैं । इनका समय प्रथमद्वितीय शताब्दी माना जाता है। हमें बड़े खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि तत्त्वार्थसूत्र के रचयिता का आज हमारे पास कोई प्रामाणिक परिचय उपलब्ध नहीं है।
ग्रन्थ का महत्त्व
1. तत्त्वार्थसूत्र जैन धर्म एवं दर्शन का सूत्रग्रन्थ है। इसकी रचना अन्य दर्शनों के सूत्र-ग्रन्थों के समान हुई है।
172 :: प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय