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मुनि
आराधक
उत्कृष्ट मध्यम जघन्य
श्रावक
पाक्षिक नैष्ठिक साधक
पंडित आशाधरजी ने धर्मामृत ग्रन्थ में श्रमण और श्रावक की प्रारम्भिक क्रिया से लेकर अन्त तक की सम्पूर्ण क्रियाओं का वर्णन किया है। यह वास्तव में एक अद्भुत ग्रन्थ है। कुछ विषय तो पूर्व ग्रन्थों के आधार पर हैं, परन्तु कुछ नवीन विषयों का परिचय इस ग्रन्थ की उपयोगिता को दर्शाता है । साधु का सम्पूर्ण धर्म और प्रारम्भिक श्रावक से लेकर उत्कृष्ट श्रावक का सम्पूर्ण धर्म इस ग्रन्थ में एक साथ ही पढ़ने को मिल जाता है । सुधी स्वाध्यायप्रेमियों के लिए वास्तव में
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'धर्मामृत' ग्रन्थ अनुपम उपहार है।
धर्मामृत :: 161