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पार्श्वनाथ की जिन - प्रतिमायें भी यहां हैं । जटाजूटधारी प्रतिमा ऋषभदेव भगवान की है ।
38. गुंबदाकार शिखर- आदिनाथ भगवान सहित इसमें 11 जिन - प्रतिमायें विराजमान हैं। कुछ मूर्तियां 10 फीट से भी अधिक ऊँची हैं । 39. ऋषभनाथ जिनालय में भगवान ऋषभनाथ की भव्य कायोत्सर्ग मूर्ति विराजमान है। कंधों पर लहराती जटायें भी हैं। दोनों पावों में भी जिन - प्रतिमायें हैं ।
40. यह एक बड़ा आयताकार स्तंभयुक्त मंडप वाला जिनालय है। यहां वर्तमान चौबीस तीर्थंकरों की जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं। पास में पहाड़ी स्थित क्षेत्र का कार्यालय भी है
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41. पंचपरमेष्ठी जिनालय- नीचे तीन वेदिकायें हैं । उपाध्याय आदि की मूर्तियां भी हैं । त्रितीर्थी मूर्तियां अधिक हैं । भरत भगवान की परित्यक्त 12 रत्नों सहित मूर्ति यहीं है। पांचों परमेष्ठियों की जिन - प्रतिमायें इस जिनालय में हैं ?
42. नीचे तलहटी में विशाल धर्मशाला बनी हुई है। जिसमें प्रथम तल पर एक विशाल जिनालय बना है। इसमें अनेक प्राचीन व नवीन जिन - प्रतिमायें हैं। पार्श्व स्थित दो कमरों में भी जिन-प्रतिमायें स्थापित हैं । इसके अलावा दो मंजिली इमारत में विशाल संग्रहालय भी दर्शनीय है; जिसमें लगभग एक हजार खंडित जिन-प्रतिमायें व कलाकृतियां सुरक्षित रखी गई हैं । इसी संग्रहालय में लगभग 130 विशाल जिन - प्रतिमायें हैं जो पूज्यनीय भी है; जिन्हें मंदिर में स्थापित करने के प्रयास चल रहे हैं। यहां दशावतार मंदिर, वराह मंदिर, नाहर घाटी, राजघाटी, सिद्ध गुफा, पत्थर की बावड़ी, वेतवा नदी घाटी, शैल चित्रों की गुफायें अन्य दर्शनीय स्थल हैं ।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ = 97