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व कुछ अन्य जिन-प्रतिमाओं के पार्श्व में द्विभुज नवगृहों की आकृतियां बनी हैं । उत्तरंग के बायें छोर पर लक्ष्मी व चक्रेश्वरी तथा दायें छोर पर सरस्वती व अम्बिका की मूर्तियां बनीं है। सबसे ऊपर की पंक्ति में 16 मांगलिक स्वप्नों को व उसके नीचे की पंक्ति में 24 तीर्थंकरों की पदमासन एवं कायोत्सर्ग मूर्तियां हैं। गर्भगृह में कुछ अन्य तीर्थंकरों की मूर्तियां भी हैं
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31. 10वीं सदी के इस जिनालय में भगवान पार्श्वनाथ की व दो अन्य तीर्थंकरों की कायोत्सर्ग मुद्रा में मूर्तियां स्थापित की गई हैं ।
32. इस जिनालय के विशाल आयताकार मंडप में 12 जिन - प्रतिमायें हैं । तीन ध्यानस्थ मूर्तियों के मध्य में 8 फीट ऊँची भगवान ऋषभनाथ की मूर्ति हैं। 6 अन्य प्रतिमायें भी भगवान ऋषभनाथ की हैं। दो ध्यानस्थ प्रतिमायें पार्श्वनाथ की हैं।
33. यह विशाल आयताकार मंडप के आकार का जिनालय है । इस जिनालय में पद्मासन व खड्गासन मुद्रा में 13 जिनबिम्ब स्थापित हैं, जो ऋषभनाथ, अजितनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, विमलनाथ व सुपार्श्वनाथ भगवान के हैं ।
34. इस जिनालय का आकार भी आयताकार है जिसमें तीन प्रवेश द्वार हैं । इस जिनालय में कुल 15 जिन - प्रतिमायें हैं जिसमें पार्श्वनाथ, ऋषभनाथ व नेमिनाथ के साथ अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमायें भी हैं। 10वीं सदी की भगवान ऋषभनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमा के परिकर में 23 अन्य जिनमूर्तियां उकेरी गई हैं।
35. यह उत्तराभिमुख मंदिर दो तल वाला है। इसमें अर्धमंडप, विशालमंडप व गर्भगृह भी है । प्रथम तल वाले मंडप में भगवान पार्श्वनाथ, सुपार्श्वनाथ, अभिनंदन नाथ व नेमिनाथ की मूर्तियां हैं। कुल 15 जिन - प्रतिमायें यहां विराजमान हैं । यहीं भरत व बाहुबली की कायोत्सर्ग प्रतिमायें भी हैं। गर्भगृह में ऋषभनाथ भगवान की पद्मासन प्रतिमा भी विराजमान है ।
ऊपरी तल पर 24 जिन - प्रतिमायें विराजमान हैं । इनमें से 8 तीर्थंकर पार्श्वनाथ की हैं । चन्द्रप्रभु की प्रतिमा के साथ यक्ष रूप में गोमुख का अंकन आश्चर्यजनक है।
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36. पिरामिड शैली के शिखर युक्त इस जिनालय में गर्भगृह के तीन स्तंभों पर 16वीं सदी के कई लेख हैं । स्तंभों पर चौमुखी जिन - प्रतिमायें भी उत्कीर्ण हैं । साधु व साध्वियों की प्रतिमायें भी इस जिनालय में उत्कीर्ण की गई हैं।
37. इस मंदिर का मुख पूर्व की ओर है। जिसमें आयताकार मंडप व गर्भगृह है। इस जिनालय में कुल 17 जिन - प्रतिमायें हैं । प्रवेश द्वार पर चतुर्भुजी चक्रेश्वरी का होना इस जिनालय को भगवान ऋषभदेव का जिनालय होना बताता है । इसमें भगवान ऋषभदेव की 3 मूर्तियां हैं। भगवान
96 ■ मध्य - भारत के जैन तीर्थ