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अतिशय क्षेत्र गिरार यह अतिशय क्षेत्र जिला ललितपुर अन्तर्गत टीकमगढ़-ललितपुर मार्ग से महरौनी मड़ावरा होकर मड़ावरा से 18 किमी. की दूरी पर स्थित है। ललितपुर से इसकी दूरी 75 किमी., टीकमगढ़ से 65 किमी. तथा मदनपुर क्षेत्र से 32 किमी. है। यह सुरम्य व मनोहर तीर्थ-क्षेत्र विन्ध्य पहाड़ियों की तलहटी में धसान (दशाण) नदी के बायें तट पर स्थित है। पहले क्षेत्र के आसपास घनी आबादी थी; किन्तु अब गिरार ग्राम क्षेत्र से लगभग एक किमी. दूर बस गया है। यह प्राचीन अतिशय क्षेत्र है। यहां पांच जिनालय स्थित हैं; जिनमें से चार जिनालय तो नवीन हैं; किन्तु मध्य में स्थित जिनालय प्राचीन है। जिनालय :
___ 1. क्षेत्र के मध्य में स्थित इस जिनालय का निर्माण सिंघई धुरमंगल जी के सुपुत्र लाला हरगोविन्द दास ने करवाया था। इस जिनालय में भगवान आदिनाथ की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा आपने ही वि.सं. 1844 में करवाई थी। प्रतिमा अतिभव्य अतिशयकारी एवं मनोहारी है। यह प्रतिमा लगभग 3.5 फीट ऊँची है।
2. क्षेत्र के बायीं ओर स्थित जिनालय में भगवान शान्तिनाथ की प्रतिमा विराजमान है।
3.-4. मुख्य जिनालय के दायें व बायें भी दो जिनालयों का निर्माण किया गया है। इन जिनालयों में भगवान पार्श्वनाथ की एवं भगवान चन्द्रप्रभु की प्रतिमायें मूलनायक के रूप में विराजमान हैं।
___5. मंदिर प्रांगण में एक भव्य व आलीशान मानस्तंभ भी स्थापित है। लगभग 40 फीट ऊचा यह मानस्तंभ संगमरमर से निर्मित है। ... यहां स्थित जिनालय अत्यन्त ऊँचे शिखरबंद जिनालय हैं; जो काफी दूर-दूर से दिखलाई पड़ते हैं। यहां प्रतिवर्ष वार्षिक मेला भगवान आदिनाथ के निर्वाणोत्सव पर लगता है। भगवान आदिनाथ का जनमोत्सव भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
अतिशय : ग्राम के क्षेत्र से दूर बस जाने के कारण ग्रामवासियों ने इस क्षेत्र की मूर्तियों को अनेक बार ग्राम गिरार में ले जाने का प्रयास किया; किन्तु इस काम में कभी कोई सफल न हो सका। यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा अतिशय है। यहां से मध्यप्रदेश की सीमा लगी हुई है। क्षेत्र पर ठहरने की सुविधा उपलब्ध है।
मध्य-भारत के जैन तीर्व-91