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में स्थित हैं। यह क्षेत्र दो मंजिले भवन में है। जिसमें 60 से अधिक वेदिकाओं पर श्री जी विराजमान हैं। इस क्षेत्र में मात्र एक चौबीसी व दो वेदिकाओं पर ही नवीन जिनबिम्ब स्थापित है; शेष वेदिकाओं पर अतिप्राचीन जिनबिम्ब स्थापित हैं। जिनबिम्बों की वीतरागी मुद्रा देखते ही बनती है। जिनालय परिसर में प्रवेश करते ही; सर्वप्रथम मानस्तंभ के दर्शन होते हैं; जो लगभग 40 फीट ऊँचा हैं यद्यपि यहां के मूलनायक भगवान शान्तिनाथ जी हैं; किन्तु इस क्षेत्र पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमायें सबसे अधिक हैं। यहां फणावली युक्त भगवान सुपार्श्वनाथ की प्रतिमा, आचार्य कुंदकुंद स्वामी की पीछी कमण्डलु सहित खड्गासन प्रतिमा, पंच बालयति भगवानों की मूर्तियां, पंचपरमेष्ठियों के जिनबिम्ब, सप्त ऋषियों की मूर्तियां, भरत-बाहुबली की मूर्तियां जिनके चरणों में 14 रत्न पड़े हैं, यक्ष-यक्षिणी आदि की मूर्तियां इस क्षेत्र के प्रमुख आकर्षण हैं, जिनके दर्शन कर श्रद्धालु भाव-विभोर हो जाता है। यहां शासन देवियों व उनके अलंकरणों का सूक्ष्म अंकन भी दर्शनीय है। भगवान शान्तिनाथ, कुंथुनाथ व अरहनाथ की प्रतिमाओं के दर्शन करके मन स्वतः पवित्र हो जाता है।
नीचे तलपर : 1. मानस्तंभ से आगे बढ़ते ही विश्व शान्ति प्रदायक भगवान शान्तिनाथ की भव्य प्रतिमा के दर्शन होते हैं। 18 फीट ऊँची प्रतिमा के मुखमंडल के चारों ओर भव्य आभामंडल की शोभा देखते ही बनती है। मूर्ति के दोनों ओर लगभग 7-8 फीट ऊँची भगवान कुंथुनाथ व अरहनाथ की प्रतिमायें हैं। भगवान शान्तिनाथ का यह जिनालय आयताकार नागर शैली में निर्मित हैं। यह जिनालय पहले भोयरे रूप में था जिसका प्रवेश द्वार मात्र 2 फीट 9 इंच x 1फीट 7 इंच का था। इस दरवाजे में बैठकर प्रवेश करना पड़ता था; किन्तु अब यह सब हटाकर एक विशाल दरवाजा बनाया गया है, जहां दूर से ही श्री जी के दर्शन होते हैं। दर्शन कर श्रद्धालुओं के मन को परम शान्ति मिलती है।
2. दायीं ओर जाने पर एक विशाल मंदिर स्थित है, जिसके मध्य में एक प्राचीन वेदिका है; उस पर अनेक जिनबिम्ब स्थापित हैं। इस वेदिका के चारों ओर अनेकों खड्गासन व पद्मासन जिनबिम्ब विराजमान हैं। सभी अतिप्राचीन हैं। प्रतिमाओं की अवगाहना एक फीट से लेकर 6 फीट तक की है। सभी जिनबिम्ब देशी पाषाण से निर्मित हैं।
3. बाहर निकलने पर दाईं ओर भगवान पार्श्वनाथ जिनालय है; जिसमें अतिप्राचीन भगवान पार्श्वनाथ की पाषाण निर्मित 6.6 फीट ऊँची भव्य पद्मासन प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा अतिप्राचीन, कलापूर्ण व आकर्षक है तथा देशी पाषाण से निर्मित है। . 4. आगे बढ़ने पर भगवान शान्तिनाथ जिनालय में भगवान शान्तिनाथ की प्राचीन पद्मासन प्रतिमा स्थापित है।
___5. आगे आगे जाने पर एक नवीन जिनालय में नवनिर्मित अनेक जिनबिम्ब .. विराजमान हैं।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ - 88