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50. विमलनाथ जिनालय : मूंगिया वर्ण की 6 फीट अवगाहना की कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थित यह प्रतिमा 13वें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ की है, जो सं. 1886 में प्रतिष्ठित है।
51. शान्तिनाथ जिनालयः इस जिनालय में भी मूंगिया वर्ण की 6 फीट अवगाहना वाली भगवान शान्तिनाथ की मनभावन प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में विराजमान है । इस जिनालय में प्रदक्षिणा पथ भी है ।
52. महावीर जिनालय : इस जिनालय में भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में आसीन है व देशी पाषाण से निर्मित है। यह प्रतिमा 2.5 फीट अवगाहना वाली है; जिसके सिर पर छत्र, चेहरे के पीछे आकर्षक भामंडल, पार्श्व भागों में पुष्पमाल लिए आकाशगामी गंधर्व देव व नीचे चामरधारी इन्द्र खड़े हैं। श्रावक भी भक्ति मुद्रा में उत्कीर्ण किए गए हैं। महामंडप व अर्धमंडप भी हैं । यह जिनालय अतिप्राचीन प्रतीत होता है ।
58. नेमिनाथ जिनालय : मूंगिया वर्ण की यह प्रतिमा लगभग 3 फीट अवगाहना वाली कायोत्सर्ग मुद्रा में भगवान नेमिनाथ की है। सिर पर तीन छत्र शोभायमान हैं। दोनों ओर मालायें लिए हाथी उत्कीर्ण हैं । भगवान के एक ओर सौधर्म इन्द्र व दूसरी ओर शची ( उनकी धर्मपत्नी ) खड़ी हैं । चमरवाहक भी उत्कीर्ण हैं। भक्त भी भक्तिमुद्रा में स्थित हैं । इस जिनालय में अर्धमंडल व आंगन भी है ।
54. नेमिनाथ जिनालय : इस जिनालय में दो वेदिकायें हैं । यह जिनालय भी काफी प्राचीन है। प्रथम वेदिका पर सं. 1112 की श्याम वर्ण की 1.5 फीट ऊँची भगवान नेमिनाथ की प्रतिमा आसीन है; दूसरी वेदिका पर भी भगवान नेमिनाथ जी की प्रतिमा आसीन है । किन्तु यह नवनिर्मित श्वेत वर्ण, पद्मासन व 1.6 फीट अवगाहना की है। इस जिनालय में भी अर्धमंडप व आंगन है ।
55. सर्वतोभद्रिका : यह जिनालय एक छत्री के नीचे स्थित है; जिसमें एक पाषाण स्तंभ में ही चारों दिशाओं में 3 फीट अवगाहना की क्रमशः भगवान चन्द्रप्रभु, धर्मनाथ, पद्मप्रभु व भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमायें बनीं हुईं हैं। ये प्रतिमायें 11वीं सदी की हैं।
56. आदिनाथ जिनालय : यह प्रतिमा 3.5 फीट अवगाहना वाली मूंगिया वर्ण की कायोत्सर्ग मुद्रा में आसीन भगवान आदिनाथ की है । चरण : मंदिर के आले में दो चरणचिह्न रखे हुए हैं 1
छतरी 7 : इस छत्री में नंग- अनंग मुनिराजों के चरण-चिह्न अंकित हैं; जिन्होंने इस तीर्थ क्षेत्र से मुक्ति लक्ष्मी का वरण किया था ।
56 (अ) सर्वतोभद्र जिनालय : इस जिनालय में चारों दिशाओं में मुख किए भगवान महावीर स्वामी, भगवान चन्द्रप्रभु, भगवान पद्मप्रभु व भगवान सुपार्श्वनाथ की प्रतिमायें आसीन हैं ।
56 (ब) यह नवनिर्मित जिनालय भगवान पुष्पदन्त जी को समर्पित है
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मध्य-भारत के जैन तीर्थ ■ 71