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सिर के ऊपर पाषाण के छत्र बने हुए हैं। दोनों पार्श्व भागों में यक्ष-यक्षिणी भी उत्कीर्ण है।
44. चन्द्रप्रभु जिनालय : उपरोक्त वर्ण की भगवान चन्द्रप्रभु की यह प्रतिमा 5.3 फीट ऊँची है। मूर्ति के सिर के ऊपर पाषाण के छत्र उत्कीर्ण हैं। दोनों ओर चमरवाहक इन्द्र खड़े हैं। नीचे एक यक्ष हाथ जोड़े खड़ा है। दूसरी ओर बैल पर सवार यक्षिणी की मूर्ति उत्कीर्ण है। गर्भगृह चार खंबों पर बना है। जिनालय में परिक्रमा-पथ भी बना है। इस जिनालय का निर्माण सं. 1870 में हुआ था।
क्षेत्रपाल- इस जिनालय के आगे दो मढ़ियों में क्षेत्रपाल की प्रतिमायें विराजमान हैं।
यहीं एक नवीन जिनालय बना है, जिसमें 15 फीट अवगाहना वाली अतिमनोज्ञ चन्द्रप्रभु भगवान की विशाल प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है। पास ही में भगवान महावीर स्वामी के 2500वें निर्वाणोत्सव के उपलक्ष में एक भव्य व आकर्षक स्तंभ भी बना है। यह प्रतिमा पीत वर्ण की है। __45. पार्श्वनाथ जिनालय : यह एक प्राचीन जिनालय है। इस जिनालय में 5 वेदिकाओं पर जिनबिम्ब विराजमान हैं। वाईं ओर की वेदिका पर भगवान शान्तिनाथ की श्याम वर्ण की लगभग 2.5 फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा काफी प्राचीन सं. 1182 की प्रतिष्ठित है। मूर्ति के पार्श्व भागों में चमर लिए इन्द्र खड़े हैं। दूसरी वेदिका पर लाल वर्ण की सं. 1163 में प्रतिष्ठित प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की है जो पद्मासन मुद्रा में है। तीसरी वेदिका पर भी 4 फीट अवगाहना की श्याम वर्ण की भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में प्रतिष्ठिापित है वाईं व दाईं ओर यक्ष-यक्षिणी की प्रतिमायें उत्कीर्ण हैं। चौथी वेदिका पर 2 फीट अवगाहना वाली श्याम वर्ण की ही पद्मासन प्रतिमा भगवान नेमिनाथ की है, जो सं. 1340 में प्रतिष्ठित है। अंतिम वेदी पर 3 फीट अवगाहना की लाल रंग की खड्गासन मुद्रा में भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा आसीन है जिसके पार्श्व भागों में यक्ष-यक्षिणी हैं। ___46. नेमिनाथ जिनालय : यह रंग-बिरंगी पाषाण प्रतिमा जो पद्मासन में है, लगभग 3 फीट अवगाहना वाली भगवान नेमिनाथ की है।
47. आदिनाथ जिनालय : रंग-बिरंगी देशी पाषाण से निर्मित यह प्रतिमा 6.25 फीट अवगाहना की कायोत्सर्ग मुद्रा में है व प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की है वेदिका के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी है। गर्भगृह 4 स्तंभों पर बना मंडपाकार है।
48. चन्द्रप्रभु जिनालय : यह प्रतिमा भी उपरोक्त की भांति ही 5.5 फीट अवगाहना वाली है। इसका गर्भगृह भी मंडपनुमा है; जिसके चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी है।
___49. आदिनाथ जिनालय : इस जिनालय में 6 फीट अवगाहना वाली उपरोक्त रंग की देशी पाषाण से निर्मित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में विराजमान है। इसका गर्भगृह उपरोक्त जैसा व प्रदक्षिणा पथ सहित है।
70 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ