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कृष्णवर्ण की यह प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में है; जिसकी अवगाहना लगभग 3 फीट है । परिकर में छत्र, भामंडल व देव भी बने हैं ।
8. पद्मप्रभु जिनालय : लगभग 1 फीट अवगाहना वाली श्वेत वर्ण की भगवान पद्मप्रभु की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में इस जिनालय में प्रांतेष्ठिापित की गई है। इस जिनालय में अर्धमंडप भी है ।
9. पार्श्वनाथ जिनालय : 2 फीट ऊँची भव्य व आकर्षक इस प्रतिमा का स्थापना वर्ष 1942 है । यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में श्वेत वर्ण की है ।
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10. पार्श्वनाथ जिनालय : इस जिनालय में मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की फणावली युक्त कृष्ण वर्ण की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है । यह प्रतिमा लगभग 3 फीट ऊँची है। इसकी प्रतिष्ठा सं. 1921 में हुई थी । बायीं ओर लगभग 2 फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में भगवान अभिनंदन नाथ की प्रतिमा विराजमान है, जो नई है। दायीं ओर स्वर्ण वर्ण की 2 फीट अवगाहना की एक अन्य चन्द्रप्रभु की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है। यह भी नव स्थापित है। मंदिर विशाल है; जिसमें गर्भगृह के अलावा अर्धमंडप व आंगन भी है ।
11. आदिनाथ जिनालय : सं. 1827 में प्रतिष्ठित श्यामवर्ण की लगभग 3.5 फीट अवगाहना वाली भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा इस जिनालय में कायोत्सर्ग मुद्रा में प्रतिष्ठापित की गई है । इस जिनालय में अर्धमंडप भी है। छत्र, भामंडल, हाथी पर सवार देव आदि प्रतिमा के परिकर में उत्कीर्ण हैं ।
12. नेमिनाथ जिनालय : श्याम वर्ण की 5 फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में भगवान नेमिनाथ की प्रतिमा इस जिनालय में विराजमान है। गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ बना है। मूर्ति पर प्रतिष्ठाकाल अंकित नहीं है। मूर्ति काफी प्राचीन, भव्य व आकर्षक है । भामंडल, छत्र, देव-देवियां आदि प्रतिमा के परिकर में उत्कीर्ण हैं ।
13. आदिनाथ जिनालय : गर्भगृह व अर्धमंडप वाले इस जिनालय में भगवान आदिनाथ की श्वेत वर्ण की 1 फीट ऊची दो पद्मासन प्रतिमायें विराजमान हैं जो क्रमशः 1910 व वीर निर्वाण सं. 2477 की प्रतिष्ठित हैं ।
14. आदिनाथ जिनालय : लगभग 2 फीट ऊँची कत्थई वर्ण की भगवान आदिनाथ की यह प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में विराजमान है वीर नि. सं. 2469 में इसकी प्रतिष्ठा हुई थी ।
14 (क) आदिनाथ जिनालय : 21 इंच ऊँची श्वेत वर्ण की यह प्रतिमा वीर नि. सं. 2497 में प्रतिष्ठित हुई थी । यह पद्मासन में स्थित है। नीचे बैल का चिह्न उत्कीर्ण है।
15. मुनिसुव्रतनाथ जिनालय : लगभग 3.5 फीट अवगाहना की कृष्ण वर्ण की यह प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में विराजमान है। इसका प्रतिष्ठाकाल सं. 1544 है। मंदिर में अर्धमंडप भी निर्मित है। यह प्रतिमा प्राचीन व मनोज्ञ है। प्रतिमा के परिकर में चार भुजाओं वाली देवियां, भामंडल, छत्र आदि शोभायमान है।
16. महावीर जिनालय : लगभग 2.25 फीट अवगाहना की भगवान 66■ मध्य - भारत के जैन तीर्थ