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पहाड़ी पर लगभग गांव से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां वनों से घिरी इस सुंदर पहाड़ी पर सीढ़ियों के बायीं ओर पांच गुफा मंदिर (अकृत्रिम चैत्यालय) स्थित हैं व दायीं ओर भी एक गुफा मंदिर स्थित है।
1. समतल मैदानी भाग से लगभग 500 सीढ़ियां चढ़ने पर प्रथम गुफा मंदिर मिलता है। यह अकृत्रिम चैत्यालय 32 फीट चौड़ा व लगभग 12 फीट ऊँचा है। इस अकृत्रिम चैत्यालय में जैनधर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की देशी पाषाण से निर्मित चमत्कारी व अतिमनोज्ञ प्रतिमा पद्मासन में आसीन है । इस प्रतिमा की मुखाकृति के पीछे एक प्रभामंडल है। मूर्ति के दोनों ओर उड़ते हुए गंधर्व उत्कीर्ण है। इनमें से एक के हाथ में पुष्पमाला व दूसरे के हाथ में दीपक है। प्रतिमा के दोनों ओर दो चामरधारी इन्द्रों की मूर्तियां भी बनीं हुई हैं, जिनके मुकुट कुषाणकालीन प्रतिमाओं जैसे हैं ।
प्रतिमा के पाल में धर्मचक्र बना हुआ है व इस धर्मचक्र के दोनों ओर दंपत्ति युगल की भक्ति मुद्रा युक्त मूर्तियां बनी हुई हैं, जो पुष्पमाला, धूप दान व श्री फल से युक्त 'हैं। इनके दोनों ओर पराक्रमी सिंह बने हुए हैं। यह प्रतिमा लगभग 2000 वर्ष प्राचीन तीसरी शताब्दी की है। प्रतिमा की अवगाहना 38x60X14 इंच है। अर्थात् ये 5 फीट ऊँची हैं । ज्ञातव्य है कि पूर्ववर्ती आद्य गुप्त काल की तीर्थंकर प्रतिमाओं में तीर्थंकरों के प्रतीक चिह्न बनाने की प्रथा नहीं थी ।
इसी गुफा मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की एक प्राचीन कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थित प्रतिमा भी विराजमान है; जिसकी अवगाहना 20x45x7 इंच है अर्थात् यह लगभग 4 फीट ऊँची है। इस गुफा मंदिर के शिखर का निर्माण सन् 1991 में आचार्य श्री विराग सागर की प्रेरणा से सलेहा निवासी श्री विजय कुमार जी द्वारा कराया गया था । ज्ञातव्य है कि प्रारंभिक काल में ईशा के जन्म के आसपास व पूर्व भगवान ऋषभनाथ की प्रतिमाओं को जटाओं सहित बनाया जाता था व भगवान पार्श्वनाथ जी की प्रतिमाओं के शिरोभाग में फणावली बनाने की परंपरा थी ।
2. इसे गुफा क्र. दो भी कहते हैं । यह गुफा 9 फीट चौड़ी, 6 फीट ऊँची व 7 फीट लंबी है। इस गुफा में 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की 4 फीट ऊँची प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में विराजमान है। इस मूर्ति की अवगाहना 23x48x9 इंच हैं।
यह प्रतिमा संभवतः ईसा की छठवीं शताब्दी की है। मूर्ति के पृष्ठ भाग में भगवान के यक्ष धरेणन्द्र का अंकन है। प्रतिमा के शीर्ष भाग पर दोनों ओर उड़ते हुए मालाधारी देव बने हुए हैं। यह प्रतिमा ग्वालियर संग्रहालय में रखी परवर्ती गुप्तकाल की उस प्रतिमा जैसी ही है, जो वेश नगर (विदिशा) से प्राप्त हुई थी ।
3. इसे बड़े बाबा की गुफा के नाम से भी जाना जाता है। यह गुफा 28 फीट चौड़ी व 7 फीट ऊँची है । इस अकृत्रिम चैत्यालय में आदि तीर्थंकर भगवान
मध्य-भारत के जैन तीर्थ 59