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ऋषभदेव की भव्य, आकर्षक, मनोज्ञ, मनभावन व अतिप्राचीन प्रतिमा विराजमान हैं। यह जिनबिम्ब लगभग 6 फीट ऊँचा पद्मासन मुद्रा में है। इसकी अवगाहना 39x58x18 इंच है। यह इस तीर्थ-क्षेत्र में स्थित सभी जिन-प्रतिमाओं में सबसे प्राचीन व सबसे बड़ी है। प्रतिमा के पीछे ऊपर की ओर दांयें व बांयें दो विद्याधरों की मूर्तियां भी उत्कीर्ण हैं, जो क्रमशः फूलमाला व दीपक लिये हैं। प्रतिमा के मुख-मंडल के चारों ओर स्थित प्रभा मंडल (आभामंडल) की शोभा तो देखते ही बनती है। प्रतिमा के पार्श्व भागों में चामरधारी इन्द्रों की मूर्तियां भी उत्कीर्ण हैं; जो कुषाण कालीन हैं। मूर्ति के पादपीठ पर धर्मचक्र बना है। पादपीठ के दोनों ओर सिंहासन के दो सिंह अंकित हैं। इस प्रतिमा के पाद्मूल में तीर्थंकर चिह्न नहीं है। निश्चित ही ये दुर्लभ प्रतिमा तीसरी शताब्दी के पूर्व की है। मथुरा के प्रसिद्ध कंकाली टीला से प्राप्त जिन प्रतिमाओं के सदृश्य ही यह जिन-प्रतिमा भी है। जिनबिम्ब के दोनों कंधों पर जटायें उत्कीर्ण हैं; जो यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं कि यह जिन-प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की है। श्रद्धालु का मन यहां से हटने को नहीं होता; यह जिनबिम्ब का प्रमुख आकर्षण है। __4. यह गुफा मंदिर 12 फीट चौड़ा व 20 फीट ऊँचा है यह अकृत्रिम जिन चैत्यालय यहां स्थित सभी चैत्यालयों में सबसे ऊँचा है। यहां पहले जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की अति मनभावन प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थापित थी। किन्तु सुरक्षा के अभाव के कारण मूर्ति तस्करों ने इस प्रतिमा को 20वीं शताब्दी के मध्य में चुरा लिया। अब इस गुफा में तीर्थंकर चरण-चिह्न अंकित है।
5. यह बायीं ओर की सबसे पहली गुफा है किन्तु इसमें भी कोई जिनप्रतिमा विराजमान नहीं है। संभवतः पहले कभी इसमें जिन-प्रतिमायें विराजमान रही हो।
6. सीढ़ियों के दायीं ओर काफी दूरी पर स्थित इस गुफा मंदिर में पहले भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित थी; जिसे सुरक्षा कारणों से अब तलहटी स्थित नवीन जिनालय में स्थापित कर दिया गया है। अब इस गुफा में चरण-
चिह्न रखे हुए हैं।
इस गुफा मंदिर में श्री विमलसागर जी महाराज जब दर्शन करने जाते थे; तो अक्सर एक शेरनी अपने बच्चे के साथ इस गुफा में आ जाया करती थी। अतः महाराज श्री की सुरक्षा को ध्यान में रखकर यहां की जिन-प्रतिमा को तलहटी मंदिर में विराजमान कर दिया गया था।
7. तलहटी का नवीन जिनालय- इस जिनालय का निर्माण 20वीं सदी के अन्त में किया गया है। इसी जिनालय में 6वीं गुफा स्थित पार्श्वनाथ की प्रतिमा को विराजमान किया गया है। अन्य प्रतिमा भी यहां विराजमान है। इसे श्रेयांसनाथ जिनालय के नाम से जानते हैं।
60 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ .