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टीकमगढ़ ISKM
पपौरा 30KM/A SKM
झांसी)
अहारजी
पानारी
140 KM
सागर वंडा
घुवारा 25KM
25KM
द्रोणगिरि
27 KM शाहगढ 0 हीरापुर बड़ामलहरा
// 25 KM
दलपतपुर
KM
छतरपुर
-
55KM
15 KM
50KM
ननागिर
15KM//35KM
100 KM
बमीठा
दमोह SOKM
खजुराहो
बकस्वाहा
46. चन्द्रप्रभु जिनालय- 1.5 फीट अवगाहना की यह प्रतिमा सं. 1983 में प्रतिष्ठित है; पद्मासन मुद्रा में भगवान चन्द्रप्रभु की है। ___47. मुनिसुव्रतनाथ जिनालय- कृष्ण पाषाण की लगभग 3 फीट अवगाहना की यह जिन-प्रतिमा पद्मासन में भगवान मुनिसुव्रतनाथ की है। ___48. वासुपूज्य जिनालय- इस जिनालय में भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा विराजमान है।
49. मुनिसुव्रतनाथ जिनालय- 1943 में प्रतिष्ठित यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में आसीन है; अतिभव्य व मनोहारी है। इसी जिनालय के कंगूरों पर बैठकर नाग-नागिनी का जोड़ा आचार्य श्री विद्यासागर जी के प्रवचनों का लाभ लेता था व प्रवचन के बाद चला जाता था।
50. मुनिसुव्रतनाथ जिनालय- लगभग 2.5 फीट अवगाहना की यह प्रतिमा कृष्ण वर्ण की है व भगवान मुनिसुव्रतनाथ की है। इस प्रतिमा के पार्श्व भागों में तीर्थंकर पार्श्वनाथ की प्रतिमायें विराजमान हैं।
51. वर्धमान जिनालय-इस जिनालय में मूलनायक भगवान महावीर स्वामी की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। यह रक्त वर्ण की प्रतिमा लगभग 2 फीट अवगाहना की है। इस प्रतिमा का प्रक्षाल करते समय एक विशेष ध्वनि निकलती है। इस प्रतिमा को किसी स्त्री ने अशुद्ध दशा में स्पर्श कर लिया था; तब यहां अतिशय हुआ था।
52. मल्लिनाथ जिनालय- इस जिनालय में मूलनायक भगवान मल्लिनाथ
50 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ .