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7. सुपाश्वनाथ जिनालय- इस जिनालय में 3 फीट 9 इंच ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में भगवान सुपार्श्वनाथ की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। उनके चरणों के समीप दो आर्यिकायें श्रद्धापूर्वक विराजमान हैं। कलचुरी काल की दो प्रतिमायें जो कायोत्सर्ग मुद्रा में ही हैं, मूल प्रतिमा के दोनों ओर विराजमान है। ये प्रतिमायें भगवान अजितनाथ व आदिनाथ की हैं व क्रमशः 3 फीट 7 इंच व 3 फीट 8 इंच ऊँची है। सभी प्रतिमाओं के पार्श्व भागों में यक्ष-यक्षिणी अंकित है। प्रवेश द्वार के ऊपर मध्य में तीर्थंकर प्रतिमा व छोरों व चक्रेश्वरी व अम्बिका की मूर्तियां बनीं हैं।
8. महावीर जिनालय- संवत् 1148 में स्थापित पद्मासन में स्थित मूलनायक भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा इस जिनालय में विराजमान है। पार्श्व भागों में तीर्थंकर के यक्ष-यक्षिणी बने हैं। प्रभामंडल अति अलंकृत है। उत्तरंग पर लक्ष्मी, चक्रेश्वरी, अम्बिका व नवगृहों के अतिरिक्त 18 जैन मुनिओं व 16 मांगलिक स्वप्नों का भी अंकन किया गया है। जैन मुनि नमस्कार मुद्रा में मयूर पिच्छिका के साथ दिखाये गये हैं।
9. आदिनाथ जिनालय- इस जिनालय में 3 फीट 7 इंच अवगाहना वाली भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है। उत्तरंग पर चक्रेश्वरी व लक्ष्मी की मूर्तियां भी उत्कीर्ण हैं। ___10. आदिनाथ जिनालय- यह जिनालय खजुराहो के जिनालयों में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण जिनालय है। इस जिनालय का प्राचीन गर्भगृह व अन्तराल ही शेष है बाकी नया निर्माण है। यह खजुराहो के वामन मंदिर जैसा है। यह जिनालय 11वीं सदी का है। गर्भगृह में सं. 1215 की काले पाषण की 3 फीट 4 इंच ऊँची भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है। जिनालय के मंडोवर पर तीन समानान्तर पंक्तियां हैं, जिनमें प्रथम पंक्ति में गंधर्व, किन्नरों व विद्याधरों की, मध्य की पंक्ति में गोमुख यक्ष की 8 चतुर्भुज आकृतियां बनी हैं। जबकि निचली पंक्ति में अष्ट दिग्पालों की त्रिभंग में चतुर्भुज आकृतियां बनी हैं। जबकि निचली पंक्ति में अष्ट दिग्पालों की त्रिभंग में चतुर्भुज मूर्तियां उकेरी गई हैं। नीचे भी दो पंक्तियों में आकर्षक मुद्राओं में अप्सराओं व व्यालों की मूर्तियां बनीं हैं। 16 रथिकाओं में 16 देवियों की मूर्तियां बनीं हैं। स्वतंत्र वाहनों व आयुधों से युक्त इन देवियों की तुलना 16 महाविद्याओं से की गई है। जिनालय में अधिष्ठान पर क्षेत्रपाल, चक्रेश्वरी व अम्बिका की मूर्तियां बनीं हैं। जिनालय के द्वार शाखाओं पर लक्ष्मी, चक्रेश्वरी, अम्बिका, पद्मावती, गौरी, काली, गांधारी व कुछ अन्य देवियों की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। प्रवेश द्वार के बड़ेरी पर 16 मांगलिक स्वप्नों का अंकन है। बायीं ओर भगवान आदिनाथ की माता जी को शैय्या पर लेटे दिखाया गया है। इसके आगे स्त्री-पुरुष युगल को वार्तालाप मुद्रा में दिखाया गया है। यह जिनालय 1 मीटर ऊँची जगती पर बना है। मंदिर का शिखर सप्तरथ और षोड़शभद्र है।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ- 39