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है । जिन भक्तों को इन प्रतिमाओं के दर्शन से अपूर्व शान्ति का अनुभव होता है। परिसर स्थित अन्य जिनालय हैं
2 / 1. इस जिनालय के गर्भगृह में द्वितीर्थी जिन भगवंतों की कायोत्सर्ग प्रतिमायें विराजमान हैं, जिनकी ऊँचाई 1 फीट है। जिनालय के प्रवेश द्वार पर नृत्यरत पुरुषों की 6 आकृतिओं के साथ ही बिना वाहन वाली गंगा-यमुना की मूर्तियां उकेरी गईं हैं ।
2/ 2. पार्श्वनाथ जिनालय - इस जिनालय में कायोत्सर्ग मुद्रा में सातफणी भगवान पार्श्वनाथ की 4 फीट 4 इंच ऊँची प्रतिमा विराजमान है। इस प्रतिमा के दायीं ओर एक प्रस्तर में उकेरी गई भगवान ऋषभनाथ व चन्द्रप्रभु की प्रतिमायें विराजमान हैं। प्रतिमाओं के बगल में बनी चतुर्भुज यक्ष-यक्षिणी की मूर्तियां बनीं हैं। जिनके हाथों में अभय मुद्रा, पद्म, पुस्तक व जलपात्र हैं। बायीं ओर भी दो जिन - प्रतिमायें विराजमान हैं। ये प्रतिमायें भी कायोत्सर्ग मुद्रा में लांक्षण रहित हैं । इसके परिकर में पार्श्वनाथ भगवान की ध्यानस्थ मूर्ति भी बनीं है ।
2/3. पार्श्वनाथ जिनालय - इस जिनालय में भी 9 फणी भगवान पार्श्वनाथ की ध्यानस्त मूर्ति स्थित है। जो छत्र सहित है। जो वि. सं. 1927 की है। इसके समीप ही 20वीं सदी की काले संगमरमर की भगवान पार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभु, आदिनाथ व अजितनाथ भगवान की मूर्तियों के अलावा यहां अनेक धातु प्रतिमायें भी विराजमान हैं। मल्लिनाथ भगवान की खड्गासन प्रतिमा के परिकर में 23 अन्य जिन-प्रतिमायें भी (चौबीसी ) यहां विराजमान हैं। जिनालय के उत्तरंग पर 16 मांगलिक स्वप्न और द्वार शाखाओं पर गंगा-यमुना की आकृतियां है ।
2/4. बाहुबली जिनालय - इस जिनालय में 8 फुट ऊँची भगवान बाहुबली स्वामी की प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में आसीन है। यह प्रतिमा 20वीं सदी की है। 29/5. ऋषभनाथ जिनालय - इस जिनालय में 4 फुट 7 इंच ऊँची भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान है जो 11वीं सदी की पाषाण निर्मित है। यह प्रतिमा यक्ष-यक्षिणी सहित जटाजूटों से युक्त है । सिंहासन प्रभामंडल युक्त प्रतिमा अतिमनोज्ञ है वेदिका के ऊपरी भाग में भगवान सुपार्श्वनाथ के अतिरिक्त 15 जिनबिम्ब भी उत्कीर्ण है।
2/6. अभिनंदन नाथ जिनालय- 1981 में स्थापित भगवान आभिनंदननाथ की प्रतिमा इस जिनालय में मूलनायक के रूप में विराजमान है। वेदिका पर मूल प्रतिमा के पार्श्व भागों में भगवान संभवनाथ व सुमतिनाथ की प्रतिमायें विराजमान हैं। सभी प्रतिमायें संगमरमर से निर्मित है। प्रवेश द्वार के ऊपर तीर्थंकरों की ध्यानस्त मूर्तियां व नीचे गंगा-यमुना की प्राचीन मूर्तियां भी बनी हैं।
2/7. नेमिनाथ जिनालय - सन् 1943 में प्रतिष्ठित काले पाषाण की भगवान 36■ मध्य-भारत के जैन तीर्थ