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नवागढ़ अतिशय क्षेत्र
अतिशय क्षेत्र नवागढ़ जी, टीकमगढ़-सागर मुख्य सड़क मार्ग पर अजनौर से आगे डूड़ा को जाने वाली सड़क पर डूड़ा ग्राम से 4 किलोमीटर दूरी पर वर्तमान में कच्चे सड़क मार्ग पर स्थित है। यहां टीकमगढ़-सागर सड़क मार्ग पर स्थित अजनौर ग्राम से भी पहुंचा जा सकता है। अजनौर से नवागढ़ की दूरी 6 कि मी. है। उ. प्र. में महरौनी तहसील के ग्राम सोजना से भी मेनवार होकर इस तीर्थ क्षेत्र के दर्शन किये जा सकते हैं। मेनवार से नवागढ़ की दूरी 3 किलोमीटर है। टीकमगढ़ से नवागढ़ की दूरी 33 किलोमीटर है।
यह एक प्राचीन अतिशय क्षेत्र है, जहां एक प्राचीन जिनालय में 6 फीट ऊँची भगवान अहरनाथ की कायोत्सर्ग मुद्रा में भव्य व आकर्षक प्रतिमा विराजमान है वर्तमान में प्राचीन जिनालय के स्थान पर लाल पत्थर से विशाल नया जिनालय बनकर तैयार हो गया है। यह जिनालय एक भोयरे रूप में है, जहां पहले वर्षा का पानी भर जाया करता था। दर्शकों को पानी में खड़े होकर दर्शन करने पड़ते थे, किन्तु अब स्थिति भिन्न हो जाने से वर्षा का पानी जिनालय में नहीं भरता।
यह जिनालय एक भोयरेनुमा जिनालय है, जिसमें धरातल से नीचे भोयरा बना है। इसी जिनालय में देशी पाषाण से निर्मित भगवान अरहनाथ की प्रतिमा आसीन हैं। जो 12वीं शताब्दी की बताई जाती हैं। नीचे पादमूल में मछली का चिह्न बना है।
प्रतिमा जी के दोनों पार्श्व भागों में दो अन्य तीर्थंकर प्रतिमायें भी विराजमान हैं, जो कायोत्सर्ग मुद्रा में हैं। ये प्रतिमायें भगवान शान्तिनाथ व कुंथुनाथ की हैं जो क्रमशः 7 फीट व 6 फीट ऊँची हैं। वेदिका पर 5 अन्य जिन-प्रतिमायें भी विराजमान हैं। इनमें से एक प्रतिमा काले पाषाण की लगभग 9 इंच ऊँची पद्मासन में आसीन है। इस प्रतिमा पर सं. 12 वर्ष डला है। एक अन्य प्रतिमा भी इसी अवगाहना की व इसी प्रतिमा के सदृश्य है, जिसकी प्रशस्ति अस्पष्ट है वेदिका पर बादामी रंग की दो देशी पाषाण से निर्मित प्राचीन प्रतिमायें भी विराजमान हैं। प्रत्येक की अवगाहना 1.5 फीट है। इन प्रतिमाओं पर न तो तीर्थंकरों के प्रतीक चिन्ह हैं और न ही प्रशस्तियां। एक अन्य धातु निर्मित प्रतिमा भी वेदिका पर विराजमान है। भगवान अरहनाथ की मूल प्रतिमा के चारों ओर सुंदर आभामंडल था जो वर्तमान में आधा ही शेष बचा है। प्रतिमा के गले पर तीन बल स्पष्ट देखे जा सकते हैं। चंवरधारी इन्द्र प्रतिमा के दोनों ओर उत्कीर्ण हैं। नीचे श्राविका भक्ति मुद्रा में बैठी है। 1.5 फीट अवगाहना की एक प्राचीन पद्मासन प्रतिमा के ऊपर छत्र उत्कीर्ण है। गगनधारी देव व चामर 30 - मध्य भारत के जैन तीर्थ