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मनोकामना पूर्ण होने पर सेठानी ने इस क्षेत्र पर एक धर्मशाला का निर्माण कराया, जिसे आज झांसी की सेठानी की धर्मशाला के नाम से जाना जाता है। इसीलिए यहां बड़ी संख्या में दर्शनार्थी अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी आते हैं।
7. सं. 1953 में आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी महाराज का संघ यहां आया था। तब क्षेत्र स्थित कुआं सूखा पड़ा था व पानी की काफी परेशानी थी। आचार्य श्री ने जब यह बात सुनी तो उन्होंने क्षेत्र स्थित भगवान अतिजनाथ की प्रतिमा के अभिषेक का गंधोधक जल इस कुएं में छोड़ा, परिणामस्वरूप कुआं धीरे-धीरे जल से भर गया। ऐसा देख चारों ओर भगवान अजितनाथ की जय जयकार होने लगी व श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस चमत्कार को देखने आए। तब से यह कुआं कभी खाली नहीं होता। प्राचीनता :
बंधा क्षेत्र अतिप्राचीन है, यह यहां की मूर्तियों के पाद्मूल में लिखी प्रशस्तियों से स्पष्ट होता है। मूलनायक भगवान अजितनाथ की प्रतिमा सं. 1199 (सन् 1142) में प्रतिष्ठित है वहीं एक वेदिका में स्थित खंबे पर सं. 1411 का लेख खुदा है। यहां स्थित अनेक मूर्तियों के पाद्मूल के शिलालेख अस्पष्ट हैं किन्तु कुछ विद्वान इन्हें चौथी सदी का मानते हैं। जिनालय : ___इस तीर्थं क्षेत्र पर दो जिनालय स्थित हैं, जिनमें ग्राम स्थित जिनालय प्राचीन है व इसे ही अतिशय क्षेत्र बंधा के नाम से जाना जाता है। इस प्राचीन जिनालय में सात वेदियों पर जिनबिम्ब विराजमान हैं। मंदिर प्रांगण में एक विशाल मानस्तंभ बना हुआ है। मंदिर में प्रवेश करने पर
1. पहली वेदिका पर श्री ऋषभपुत्र भगवान बाहुबली की लगभग 10 फीट अवगाहना की खड़गासन प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा श्वेत संगमरमर से निर्मित है।
2. आगे बढ़ने पर दर्शक को एक विशाल कक्ष में प्रवेश करते ही सामने तीन वेदिकायें नजर आती हैं। प्रथम वेदी पर मूलनायक भगवान चन्द्रप्रभु की अतिमनोज्ञ प्रतिमा, जो लगभग एक फीट ऊँची पद्मासन मुद्रा में आसीन है।
3. मध्य की वेदिका पर अनेक प्राचीन प्रतिमायें विराजमान हैं। ये प्रतिमायें काफी प्राचीन हैं।
4. दाईं ओर स्थित वेदिका पर अनेक जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं, ये प्रतिमायें भी काफी प्राचीन हैं।
5. आगे बढ़ने पर सीढ़ियों के सामने भगवान ऋषभनाथ जी का भव्य जिनालय स्थित है। इस वेदिका पर मूलनायक के रूप में भगवान ऋषभनाथ की लगभग 3.5 फीट ऊँची श्वेत संगमरमर निर्मित प्राचीन व अतिभव्य व आकर्षक प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है। भगवान ऋषभदेव के दर्शन कर दर्शकों के मन को असीम शान्ति मिलती है। वेदिका पर दर्जनों और जिनबिम्ब भी स्थापित हैं।
6. यहां से दर्शक व भक्तगण इस क्षेत्र पर स्थित अतिशयकारी भोयरेनुमा
28 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ